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Minister Hardeep Singh: एमपी में 'काऊ कार्ड', क्या गाय पालने वाले नेता को ही मिलेगा इस बार टिकट ? - हरदीप सिंह डंग का गौप्रेम

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सारे नेता लोगों को रिझाने में जुटे हुए हैं. शिवराज सरकार में मंत्री हरदीप सिंह डंग ने तो चुनाव लड़ने के लिए गाय पालना अनिवार्य करने सहित कई सुझाव दे डाले. अब मंत्री गाय की पूंछ पकड़कर चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगे हैं.

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Published : Mar 14, 2023, 6:08 PM IST

मंत्री हरदीप सिंह डंग

भोपाल। 2023 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार भले सोशल इंजीनियरिंग के सहारे चुनाव जीतने की जुगत लगा रही हो, लेकिन इसी सरकार के एक मंत्री को यकीन है कि गाय माता का आर्शीवाद ही है जो बीजेपी को पांचवी बार एमपी में सत्ता दिला सकता है. 2 साल पहले बीजेपी में आए मंत्री जी अपनी जीत के लिए तो काऊ कार्ड खेल ही रहे हैं. मंत्री जी ने सदन से लेकर अपनी पार्टी के संगठन तक गाय को मुद्दा बनाए जाने की सलाह दी है. मंत्री जी का सुझाव है जो नेता गाय पालता हो उसे ही चुनाव लड़ने का अधिकार मिले. मंत्री जी अब गाय की पूंछ पकड़कर सत्ता की वैतरणी पार करने की तैयारी में है.

चुनाव लड़ना है तो पहले गाय पालो:जैसे डूबते को तिनके का सहारा होता है वैसे चुनाव के वक्त जो सहारा मिल जाए नेता उसे थाम लेते हैं. तो शिवराज सरकार के मंत्री हरदीप सिंह डंग ने गाय की पूंछ पकड़ कर चुनावी नैया पार करने की तैयारी कर ली है. रतलाम के सेमलिया गांव में पहुंचे मंत्री ने अपना गौ प्रेम तो बताया ही साथ ही गाय को लेकर सदन से सड़क तक सवाल और सुझावों की भी झड़ी लगा दी. मंत्री डंग ने बताया कि उन्होने विधानसभा में गायों का मुद्दा उठाया है और गौ सेवा को लेकर तीन प्रस्ताव विधानसभा में रखे हैं.

मंत्री जी के 3 प्रस्ताव: मंत्री डंग ने सुझाव दिया कि ज्यादा से ज्यादा गौ शालाएं बनाने का है. दूसरा प्रस्ताव रखा है कि जो शासकीय कर्मचारी 25 हजार से ज्यादा की पगार लेते हैं. उनके खाते से 500 रुपए गौ शाला में जमा कराए जाएं. इसी तरीके से जो किसान गाय पालता हो केवल उसी की जमीन की खरीदी बिक्री की जाए. जो नेता गाय पाले उसे ही चुनाव लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए. वर्ना ऐसे नेता का फार्म निरस्त करवा दिया जाना चाहिए.

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गाय केवल चुनावी मुद्दा: कमलनाथ सरकार के दौर से गाय केवल चुनावी मुद्दा बनकर रह गई कमलनाथ सरकार में पहली बार गायों को वचन पत्र का हिस्सा बनाया गया था. एक हजार गौ शालाएं खोले जाने का वादा किया गया. उसके बाद एमपी में शिवराज सरकार में गौ कैबिनेट भी हुई. एमपी में करीब 24 हजार ग्राम पंचायते हैं. जिनमें तीन हजार गौ शालाओं का निर्माण या जाना है. हांलाकि स्थिति ये है कि ज्यादातर गौ शालाएं एनजीओ के हवाले हैं.

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