भोपाल। बारिश के मौसम में हर साल मध्य प्रदेश में गेहूं और चावल के भीगने की खबरें आती है. जून के महीने में होने वाली बारिश से मध्य प्रदेश में अक्सर खुले में रखा गेहूं और चावल भीग जाता है. हर साल सरकार दावा करती है कि गेहूं को खुले में नहीं रखा जाएगा, लेकिन साल दर साल अनाज के भीगने का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है.
हर साल खराब होता है गेहूं और चावल
मध्य प्रदेश में 2008 से लेकर 2018 के बीच 10 सालों में 1 लाख 80 हजार मीट्रिक टन चावल गोदाम में ही खराब हो गया. गेहूं की बात करें तो 2013 से लेकर 2017 तक 4 सालों में ही मध्य प्रदेश में 27 हजार टन गेहूं खराब हो चुका है. इसमें ज्यादातर गेहूं बारिश में भीगने से खराब हुआ है. यह खराब हुआ गेहूं खाने लायक नहीं बचता, तो पशुओं के खाने के लिए या पोल्ट्री आहार बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है. इसके अलावा खराब गेहूं को शराब बनाने वाली कंपनियां खरीदती है.
पिछले साल लाखों टन गेहूं हुआ खराब
पिछले साल बारिश में लाखों टन गेहूं खराब हो गया था. इसमें उज्जैन में 2 लाख टन, धार में 68 हजार टन, शाजापुर में 60 हजार टन और देवास में 47 हजार टन गेहूं खराब हो गया था. इसमें सबसे ज्यादा गेहूं नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम में ही खराब हुआ है. कैग की रिपोर्ट में भी मध्य प्रदेश खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम में गड़बड़ी के मामले सामने आ चुके हैं.
कैग की रिपोर्ट में हो चुका है खुलासा
कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम गोदाम में 2012 से लेकर 2017 के बीच सबसे ज्यादा गेहूं खराब हुआ है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 में नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम में 1497.39 मीट्रिक टन गेहूं खराब हुआ, वहीं साल 2016-17 में 1922.01 मीट्रिक टन गेहूं खराब हो गया. कैग की रिपोर्ट में तो यह भी सामने आ चुका है कि आपूर्ति निगम ने खराब हुए गेहूं का निराकरण तक नहीं किया और खराब गेहूं पर ही 1.25 करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए.