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मीसाबंदियों की पेंशन पर टेंशन में सरकार! मध्यप्रदेश के मंत्रियों के बयानों में विरोधाभास?

मीसाबंदियों की पेंशन को लेकर विवाद फिर बढ़ने लगा है. सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह का कहना है कि सरकार मीसाबंदी कानून को रद करने की तैयारी में है, जबकि जन संपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ऐसा कोई मामला कैबिनेट की बैठक में नहीं उठा.

मीसा बंदी की पेंशन को लेकर विवाद

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Published : Jun 26, 2019, 11:52 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार मीसाबंदियों के पेंशन को लेकर अभी भी संशय में है. सामान्य प्रशासन मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने मीसाबंदी कानून रद करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि मीसाबंदियों के नाम पर कई लोग फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे हैं. साथ ही पूर्व सांसद और विधायक गरीबों का हक मार रहे हैं, जबकि जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि इस प्रकार का कोई मामला आज बैठक में नहीं आया.

मीसाबंदियों की पेंशन पर टेंशन
एक बार फिर से पेंशन को लेकर विवाद बढ़ने लगा है और इसी मसले पर कैबिनेट बैठक में भी चर्चा होनी थी, लेकिन जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि इस मामले में कोई चर्चा नहीं हुई. वहीं, सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार मीसाबंदी कानून को रद करने की तैयारी में है.
मीसा बंदी की पेंशन को लेकर विवाद
मीसाबंदियों का कहना है कि ये सम्मान राशि बीजेपी सरकार ने शुरू की थी, लेकिन राजनीतिक द्वेष के चलते कांग्रेस सरकार ने बंद कर दी. हालांकि, बाद में मीसाबंदियों का सत्यापन कर उन्हें फिर पेंशन दी गई. अब एक बार फिर से ये बहस छिड़ी है कि मीसाबंदी फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे हैं, जबकि सरकार सभी का भौतिक सत्यापन करा चुकी है, ऐसे में अब संशय कहां रह जाता है.इस मामले में सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि कई पूर्व सांसद और एमएलए भी पेंशन ले रहे हैं, जिन्हें नैतिकता के आधार पर पेंशन छोड़ देना चाहिए. इस मामले में सागर से मीसाबंदी पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव का कहना है कि वह सांसद रहते कुछ नहीं कमाये हैं, इसलिए पेंशन नहीं छोड़ने वाला क्योंकि उनके घर का खर्च उसी पेंशन से चलता है.

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