भोपाल। प्रवासी मजदूरों (migrant workers) की घर वापसी के बीच गुजरात और महाराष्ट्र (Gujarat and Maharashtra) से मजदूरों और कामकाजी लोगों का पलायन उत्तर प्रदेश और बिहार (Uttar Pradesh and Bihar) की ओर जारी है. मजदूरों के पलायन (Labor migration) उस वक्त हो रहा है, जब कि अभी टोटल लॉकडाउन (Total lockdown) नहीं लगा है लेकिन पिछले साल लॉकडाउन में मीलो पैदल चलने का दर्द शायद लोगों को याद है. इसलिए इस बार लॉकडाउन (lockdown) के डर से लोग पहले ही अपने घरों की और वापसी कर रहे हैं. भोपाल से विदिशा रोड पर काफी संख्या में गुजरात से बसे और महाराष्ट्र से वाहन सागर होते हुए उत्तर प्रदेश और बिहार की और जाते हुए देखे जा रहे हैं.
सता रहा लॉकडाउन का 'डर'
रोजी रोटी (Livelihood) की तलाश में आदमी को अपने घर से दूर ले जाती है, लेकिन फिर से कोरोना का कहर टूट पड़ा है. फिर से वही पलायन की तस्वीरें दिखने लगी है. मजदूर और रोजी रोटी की तलाश में गए मजदूर (migrant workers) वापस घरों की ओर लौटने लगे हैं लेकिन इस बार मीलो का सफर पैदल तय करने वालों की भीड़ रोड़ पर नहीं है. क्योंकि इस बार बसों और ट्रेनों का सहारा इस बार लोगों की अभी तक मिला हुआ है. राजधानी भोपाल से लगे हुए विदिशा जिले की रोड ऊपर ढ़ाबों पर काफी भीड़ और चहल-पहल देखी जा रही है. जब हमने करीब से उसका कारण जानने की कोशिश की तो पता चला काफी संख्या में प्रवासी मजदूर जो कि गुजरात की फैक्ट्रियों और कंपनियों में काम कर रहे थे. उनके मालिकों और मैनेजमेंट ने लॉकडाउन (lockdown) लगने की आशंका को देखते हुए उनसे कह दिया गया कि जो यदि लोग अपने घर जाना चाहे वह अभी से जा सकते हैं, पिछले साल 2020 के खराब अनुभवों के कारण काफी संख्या में मजदूर बसों में ठसाठस भर कर उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर प्रस्थान कर रहे, ये बसे इन ढाबों पर यात्रियों के विश्राम और भोजन इत्यादि के लिये रुक रही है.
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