भोपाल।मध्यप्रदेश में गाय पर फिर सियासत शुरु हो गई है. लेकिन ये अचानक क्यों हो रहा है. शिवराज उपचुनाव जीत चुके हैं फिर भी इतनी जल्दी किस बात की. बुधवार सुबह अचानक शिवराज ने ट्वीट कर गौ कैबिनेट की घोषणा कर दी और चौथे दिन गौ कैबिनेट बैठक भी हो गई. कहा तो ये भी जाता है कि पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल को भी गौ कैबिनेट के गठन की भनक नहीं थी. हमेशा से सियासत के मामा कहे जाने वाले शिवराज ने एक बार फिर ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला कि इस बार कांग्रेस को सोचने तक का मौका भी नहीं दिया. रविवार सुबह शिवराज तुरंत गौ कैबिनेट की बैठक लेते हैं उसके तुरंत बाद भोपाल में गाय की पूजा करते हैं और दिन होते ही अपने वायदे अनुसार पहुंच जाते हैं आगर मालवा और वहां भी गाय के आगे नतमस्तक हो जाते हैं. लेकिन सवाल वहीं कि आखिर अचानक मध्यप्रदेश में गाय की एंट्री कैसे ?
गाय की एंट्री अचानक कैसे हो गई ?
दरअसल चिंता गाय के पालन पोषण की नहीं बल्कि हिंदुओं की आस्था की है. जो बीजेपी भली-भांति जानती है. बीजेपी गाय को अपना वोट बैंक हमेशा से मानती है तो कांग्रेस की भी नजर अब गाय पर है. जरा पीछे चलिए और याद किजिए जब मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार थी और कांग्रेस ने एक हजार गौशाला का फॉर्मूला प्रदेश को दे दिया और ये मुद्दा उपचुनाव में भी जमकर उठाया. लेकिन शिवराज हमेशा की तरह खिलाड़ी साबित हुए. उपचुनाव की जीत से फूले नहीं संमा रहे शिवराज ने तुरंत गौ कैबिनेट बनाकर कमलनाथ के गौशाला मिशन को पूरी तरह दबा दिया और गाय का मुद्दा कांग्रेस से झपट लिया.
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एक ये भी बड़ी वजह गाय की सियासत में एंट्री की
जरा याद किजिए कांग्रेस ने पशुपालकों से गोबर खरीद कर खाद बनाने की बात कही थी. इसके साथ ही अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि गौधन न्याय योजना प्रदेश में लाएंगे. शायद ये भी एक वजह रही होगी कि शिवराज ने सत्ता में लौटते ही कमलनाथ की इस कोशिश को अपनी ओर झुका दिया.
शिवराज की पहली गौ कैबिनेट में क्या हुआ
राजधानी भोपाल में पहली गौ कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई. बैठक में निर्णय लिया गया कि सालरिया अभ्यारण में गौ पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा.
- नगरीय क्षेत्रों में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए नगरीय निकायों को जोड़ा जाएगा
- सालरिया अभ्यारण में गौ-पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा
- समाज के सहयोग से प्रदेश में बड़ी संख्या में गौशाला बनाई जाएगी
- स्व सहायता समूह को गौशाला का संचालन सौंपा जाएगा