भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित मध्य प्रदेश ने हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू किया है. देश के किसी भी राज्य के लिए यह पहला कदम है, इस कदम को क्रांतिकारी होने का दावा किया गया है. हालांकि, वास्तविक क्रियान्वयन तब होगा जब एमबीबीएस छात्रों का नया बैच नवंबर में शुरू होगा. हिंदी में तीन पाठ्य पुस्तकें जारी की गई हैं.
गृह मंत्री अमित शाह ने किया एमबीबीएस की तीन पाठ्यपुस्तकों का विमोचन: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भोपाल में जिस दिन से एमबीबीएस की तीन पाठ्यपुस्तकों का विमोचन किया गया, उसी दिन से मध्य प्रदेश में इस पर बहस शुरू हो गई है. इस फैसले के माध्यम से केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार का हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ाना है. नई शिक्षा नीति 2020 (NEP2020) मातृभाषा के उपयोग पर जोर देती है.
कांग्रेस ने टाइमिंग पर उठाया सवाल, हिंदी माध्यम में इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम बंद किये गये:कांग्रेस ने परियोजना के समय पर सवाल उठाया है क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2023 में होने हैं. विपक्ष ने हिंदी माध्यम में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाया है. 2016 में, शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने भोपाल में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किया. इसके लिए तकनीकी इंजीनियरिंग शब्दों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया गया. लेकिन इसमें ज्यादा लोग शामिल नहीं हुए. कांग्रेस का दावा है कि पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का जवाब:परियोजना की निगरानी कर रहे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि इंजीनियरिंग और चिकित्सा पाठ्यक्रमों में हिंदी के कार्यान्वयन ने इस सोच को खत्म कर दिया है कि तकनीकी और चिकित्सा पाठ्यक्रम केवल अंग्रेजी भाषा में ही हो सकते हैं. मन में एक निश्चित अवधारणा थी कि चिकित्सा अध्ययन केवल अंग्रेजी में किया जा सकता है, जो अब बदलना शुरू हो गया है. हमने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए हिंदी पेश की है और काम अभी भी चल रहा है, समय आएगा जब लोग इसे स्वीकार करेंगे. यह चीजें रातों-रात नहीं हो सकती.
सरकार ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर जोर दे:डॉ. विजयलक्ष्मी साधो, जो मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री थीं और गांधी मेडिकल कॉलेज की पूर्व छात्रा हैं, हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने के सवाल पर स्वीकार किया कि हिंदी माध्यम की पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि उनका मानना है कि सरकार को स्कूल स्तर पर खासकर राज्य के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर ज्यादा जोर देना चाहिए था.