भोपाल।Jaya Parvati Vrat जैसा की नाम से ही विदित है ये देवी पूजा का व्रत है. जया मां पार्वती का ही रूप हैं. पंचांग अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है. यह व्रत 5 दिनों शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर सावन महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तक रखने की परम्परा है. इस बार 22 जुलाई से 26 जुलाई तक व्रत की तिथि है. इस व्रत को अविवाहित महिलाएं अच्छे पति तथा विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. ये हरितालिका तीज, गणगौर, मंगला गौरी व्रत की ही तरह होता है.
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कैसे करें व्रत पूजन? (Jaya Parvati Vrat puja)
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें. इसके बाद व्रत का संकल्प करते हुए माता पार्वती का ध्यान करें. संकल्प के बाद घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. शिव-पार्वती को कुमकुम, अष्टगंध, शतपत्र, कस्तूरी और फूल चढ़ाकर पूजन विधि को आगे बढ़ाएं. माता पार्वती का स्तुति करते हुए नारियल, अनार व अन्य सामग्री अर्पित करें. इसके बाद कथा का पाठ करें. सबसे आखिरी में मां पार्वती का ध्यान करते हुए सुख-सौभाग्य और गृहशांति के लिए अपने द्वारा हुई गलतियों की क्षमा मांगें.
जया-पार्वती पूजन के नियम (Jaya Parvati Vrat ke niyam)
संकल्प करते वक्त ध्यान रखें कि इसे 5,7,9,11 या 20 साल तक करना होता है. 5 दिनों तक मनाया जाने इस व्रत के नियमों का सही से पालन करना चाहिए. इन पांच दिनों में गेहूं से बनी किसी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा मसाले, सादा नमक और कुछ सब्जियां जैसे टमाटर के सेवन से बचना चाहिए.
पहले दिन गेहूं के बीजों को मिट्टी के बर्तन में लगाया जाता है. जिस को सिंदूर से सजाया जाता है. 5 दिनों तक इस बर्तन की पूजा की जाती है. पांचवें दिन यानि आखिरी दिन महिलाएं पूरी रात तक जागती रहती हैं. छठे यानि समापन के दिन गेहूं से भरा हुआ घड़ा किसी भी जलाशय या पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है.