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प्रज्ञा ठाकुर को हिरासत में प्रताड़ना के मामले में महाराष्ट्र DGP तलब

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Published : Feb 24, 2021, 10:28 AM IST

Updated : Feb 24, 2021, 11:17 AM IST

भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महाराष्ट्र पुलिस पर हिरासत में यातना का आरोप लगाया था, उनकी शिकायत पर महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के डीजीपी को तलब किया है और आरोपों पर जवाब मांगा है. साल 2018 में प्रज्ञा ठाकुर की ओर से वकील आदित्य मिश्रा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष इसको लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.

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बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर

मुंबई/भोपाल: महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को हिरासत में प्रताड़ित करने की शिकायत पर राज्य के पुलिस महानिदेशक को समन जारी किया है. आयोग ने डीजीपी को 6 अप्रैल को उनके सामने हाजिर होने को कहा है.

वकील आदित्य मिश्रा ने कराई थी शिकायत दर्ज

वकील आदित्य मिश्रा ने 2018 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इस मामले की शिकायत की थी, उस दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने एक साक्षात्कार में आरोप लगाया था कि गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने उन्हें प्रताड़ित किया था.

प्रज्ञा सिंह के आरोपों पर संज्ञान लेने की मांग

शिकायत में अनुरोध किया गया था कि आयोग को ठाकुर के आरोपों पर संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा मुद्दा है.

अभी जमानत पर हैं सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर

भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर फिलहाल इस मामले में जमानत पर जेल से बाहर हैं. वह 29 सितंबर 2008 में उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी हैं और 9 साल जेल में भी रहीं हैं.

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क्या था मालेगांव ब्लास्ट मामला ?

दरअसल महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात बम धमाका हुआ था. जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे. इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी, एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी. महाराष्ट्र एटीएस हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की गई और इस नतीजे पर पहुंची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे. इसके बाद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था, उनपर मकोका भी लगाया था. मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी, जिसके बाद जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. एनआईए की चार्जशीट में उनका नाम भी डाला गया.

साध्वी प्रज्ञा के विवादित बोल, 'हेमंत करकरे को लगा था संन्यासियों का श्राप, हुआ सर्वनाश'

साध्वी प्रज्ञा ने लगाए थे हेमंत करकरे पर प्रताड़ना के आरोप

प्रज्ञा ठाकुर ने अपने ऊपर प्रताड़ना के कई आरोप लगाए थे. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि एटीएस मुझे 10 अक्टूबर 2008 को सूरत से मुंबई लेकर गई थी. मुंबई में एटीएस ने 13 दिन तक बंधक बनाकर रखा हुआ था. बंधक बनाए जाने के दौरान पुरुष एटीएस कर्मियों ने बहुत प्रताड़ित किया, उन्होंने तब के एटीएस चीफ हेमंत करकरे पर भी प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.

'हेमंत करकरे को साध्वी प्रज्ञा ने दिया था श्राप'

मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने जेल में बंद होने का जिक्र करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा था कि उन दिनों वह मुंबई जेल में थीं. जांच आयोग ने सुनवाई के दौरान एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो उन्हें छोड़ क्यों नहीं देते. तब हेमंत ने कई तरह के सवाल पूछे, जिस पर उन्होंने जवाब दिया, इसे भगवान जाने. इसके बाद करकरे ने कहा, तो क्या मुझे भगवान के पास जाना होगा.

प्रज्ञा ने कहा, कि उस समय मैंने करकरे से कहा था, ‘तेरा सर्वनाश होगा', उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा महीने के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था. हिंदू मान्यता है कि परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर सवा माह का सूतक लगता है. जिस दिन करकरे ने सवाल किए, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था, जिसका अंत आतंकवादियों द्वारा मारे जाने से हुआ.

कौन थे हेमंत करकरे?

हेमंत करकरे मुंबई में हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए थे. इसके अलावा जिस केस में साध्वी प्रज्ञा आरोपी थीं. उस मालेगांव सीरियल ब्लास्ट की जांच करकरे के पास ही थी, हालांकि उनकी चार्जशीट पर कई तरह के सवाल खड़े हुए थे. महाराष्ट्र के ज्वाइंट कमिश्नर के बाद उनको एटीएस चीफ बनाय गया था. 26 नवंबर 2009 में शहीद की शहादत को सलाम करते हुए सरकार ने मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया था.

Last Updated : Feb 24, 2021, 11:17 AM IST

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