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श्रम विभाग ने बनाया मध्य प्रदेश राज्य श्रमिक आयोग, दो वर्ष का होगा कार्यकाल - मध्य प्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग

सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद श्रम विभाग ने मध्य प्रदेश राज्य श्रमिक आयोग का गठन किया है, जहां आयोग का कार्यकाल 2 वर्ष का होगा.

Madhya Pradesh State Labor Commission formed
मध्य प्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग

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Published : Jun 27, 2020, 8:49 AM IST

भोपाल।कोरोना संक्रमण के चलते बनी स्थितियों को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आयोग का गठन कराने के निर्देश दिए गए थे, जिसे देखते हुए आखिरकार श्रम विभाग द्वारा 'मध्य प्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग' का गठन करने का आदेश जारी कर दिया गया है. आयोग का कार्यकाल 2 वर्ष का होगा. इस आयोग का अध्यक्ष राज्य शासन द्वारा नामक व्यक्ति रहेगा. 1 मार्च 2020 के बाद अन्य राज्यों से लौटे प्रदेश मूल के श्रमिकों के लिए सरकार ने प्रवासी श्रमिक आयोग बनाया है. यह श्रमिकों के कल्याण रोजगार, कौशल विकास सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को सुझाव भी देगा.

श्रम विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने 26 जून यानि शुक्रवार को प्रवासी श्रमिक आयोग के गठन का आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के तहत बताया गया है कि लॉकडाउन लगने के बाद सवा सात लाख प्रवासी श्रमिक करीब 5.79 लाख परिजनों सहित लौटे हैं. सरकार इन्हें रोजगार दिलाने से लेकर अन्य योजनाओं में लाभ दिलाने का काम कर रही है.

राज्य शासन ने आयोग के कर्तव्य और उद्देश्य निर्धारित किए हैं. आयोग को राज्य के प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक सिफारिश प्रस्तुत करनी होगी. आयोग सदस्यों या अन्य व्यक्तियों, संगठनों, विभागों, मंडलों से आवश्यक परामर्श करते हुए राज्य शासन को अपने सुझाव, अनुशंसाएं और सिफारिशें प्रस्तुत करेगा.

मध्य प्रदेश राज्य श्रमिक आयोग में प्रवासी श्रमिकों के कल्याण रोजगार के अवसरों के सृजन और प्रवासी श्रमिकों सहित उनके परिवारों के कौशल विकास और हित संरक्षण के लिए प्रचलित कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन शामिल है. इसी के साथ आयोग प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों को राज्य की प्रचलित सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं में लाभ प्रदान करने सहित प्रवासी श्रमिकों के हित में कोई अन्य अनुशंसा कर सकता है.

आयोग में राज्य शासन द्वारा नामांकित 2 सदस्य होंगे. श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि आयोग का कार्य क्षेत्र संपूर्ण मध्य प्रदेश राज्य होगा. इसके अंतर्गत ऐसे प्रवासी श्रमिक जो प्रदेश के मूल निवासी हैं, जो अन्य राज्य में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे थे और 1 मार्च 2020 या उसके बाद प्रदेश वापस लौटे हैं या फिर आने वाले समय में वापस आएंगे, ऐसे श्रमिकों को राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं, राज्य या फिर केंद्र के अधीन नियमों में हित लाभ दिया जाएगा.

कुछ समय पहले ही अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि कोरोना संक्रमण में प्रदेश लौटे हर मजदूर को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार दिलवाने सहित उनके परिवार के कल्याण और विकास के लिए मध्य प्रदेश प्रतिबद्ध है. इसी उद्देश्य के साथ मध्य प्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग का गठन किया जा रहा है. प्रदेश में ही उनकी आजीविका इतनी सुगम बनाई जायेगी कि उन्हें दोबारा अन्य राज्यों में जाने की जरूरत ना पड़े.

प्रवासी श्रमिक आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड सचिव स्तर का अधिकारी या प्रवासी मजदूरों के कल्याण के क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष से काम कर रहा व्यक्ति होगा. प्रवासी मजदूरों के बीच काम करने वाले दो व्यक्तियों को सदस्य नामांकित करेगा. दोनों का कार्यकाल 2 वर्ष का रहेगा. इन्हें दिवालिया होने, अपराध सिद्ध ठहराए जाने, काम करने से इनकार करने या लोकहित में ना होने के आधार पर पद से हटाया जा सकेगा. आयोग का सचिव सहायक श्रम आयुक्त स्तर का अधिकारी या निगम मंडल में समकक्ष पद पर कार्यरत अधिकारी होगा.

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