भोपाल।मध्य प्रदेश सरकार ने National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD) की सलाह को दरकिनार कर दिया है. सहकारिता विभाग ने नाबार्ड के जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को बंद करने की सलाह को ठुकरा दिया है. प्रदेश सरकार अब त्रिस्तरीय माॅडल को ही मजबूत करने की रणनीति बना रही है. सहकारिता विभाग ने जिला सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए एक कमेटी की गठन किया गया है, जो जल्द ही शासन को अपनी अनुशंसाएं सौंपेगी. यह मॉडल पहले दक्षिण के कई राज्यों में बंद हो चुका है.
- साउथ के राज्यों में बंद हो चुके हैं जिला सहकारी बैंक
तेलंगाना, उत्तराखंड और केरल सहित कई राज्यों ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों की व्यवस्था खत्म कर दी है. इन राज्यों ने इस कदम राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की सलाह पर यह कदम उठाया है. नाबार्ड ने खर्च घटाने के लिए राज्य सहकारी बैंक यानी अपेक्स बैंक और साख समितियों के बीच रहने वाले जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को बंद करने की सलाह दी थी. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण के बाद जिला सहकारी बैंकों की उपयोगिता ही खत्म हो गई, जिसके बाद तेलंगाना सहित कई राज्यों ने सहकारिता की स्तरीय व्यवस्था को खत्म कर दिया.
- तेलंगाना के रास्ते पर नहीं चलेगा मध्य प्रदेश
नाबार्ड की सलाह के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी पूर्व में दक्षिण के राज्यों के आधार पर जिला सहकारी बैंकों को खत्म करने का निर्णय लिया था. इसके लिए राज्यों के माॅडल का अध्ययन करने के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की गई थी. हालांकि अब राज्य सरकार ने तेलंगाना की राह पर चलने का मन बदल दिया है. सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के मुताबिक प्रदेश में अपेक्स, जिला सहकारी बैंक और पैक्स सोसायटी की त्रिस्तरीय व्यवस्था जारी रहेगी. जिला सहकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए एक टीम बनाई गई है, जो सरकार को अपने सुझाव देगी.