भोपाल।मध्य प्रदेश की इंडस्ट्री अब उड़ान के लिए तैयार है और आगामी दो सालों में इंडस्ट्रियल ग्रोथ के मामले में देश के टाॅप थ्री राज्यों में होेंगे, प्रदेश में अब न बिजली की समस्या है और न ही बेहतर सड़कों की, उद्योगों को बैंक लोन मिलें, इसलिए उन्हें क्लस्टर फाॅर्मेट में लोन दिलाया जाएगा. ईटीवी भारत मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी ने लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सक्लेचा से बात की.
जवाब - इस बात की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चैहान की की सोच से शुरू करता हूं, आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह उन्होंने बताया है, पीएम के एक्शन की वजह से चीन के खिलाफ जो ओपीनियन बना है, उससे देश की ग्रोथ दो गुना होने की उम्मीद बन गई है. भारत के पैसे से चीन के लोगों को जो रोजगार मिल रहा था, वह तेजी से कम हुआ है,इससे तेजी से हमारे मार्केट की ग्रोथ होगी.
पिछले साल केन्द्र सरकार ने 50 और 250 करोड़ तक की इंडस्ट्री को एमएसएमई में ला दिया, इससे 90 फीसदी इंडस्टी एमएसएमई के दायरे में आ गई, जाहिर है जब प्रोडक्शन होगा, सेल बढ़ेगी. तो आय भी बढ़ेगी, इससे रोजगार भी बढ़ेगा, खेती और बड़ी इंडस्ट्री के मुकाबले लघु एवं मध्यम उद्योगों से कई गुना ज्यादा रोजगार प्राप्त होता है, आज सबसे बड़ी चुनौती भी यही है कि हमारा रोजगार कैसे बढ़ रहा है.
सवाल- लेकिन एमएसएमई जैसे आना चाहिए और इसमें जिस तरह से कैपिटल मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल रहा है, सरकार कैसे उन्हें मदद करेगी ?
जवाब- हमारे देश की अर्थव्यवथा सेविंग वाली है, देश के लोगों का स्वभाव है कि आम आदमी 40 फीसदी पूंजी को हमेशा बचाकर चलता है, यही वजह है कि कोरोना की दो लहर के बाद भी अर्थव्यवस्था में मंदी नहीं आई. वैसे देखा जाए तो बीजेपी की सरकारों के दौरान ब्याज दरों में हमेशा 3 से 4 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है.
मौजूदा वक्त में 7 से 8 फीसदी सालाना पर ब्याज मिल रहा है, अब प्रदेश सरकार एमएसएमई को ग्रुप क्लस्टर में ग्रुप लोन देने की व्यवस्था की तैयारी कर रहा है, चीन ने जिस तरह से जीरो बेस्टेज पर प्रोडक्शन किया, ठीक यही रणनीति हमें भी अपनानी होगी.
सवाल- मध्यप्रदेश अपने पड़ोसी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से अभी भी पिछड़ा है, कैसे हम इनसे आगे निकल पाएंगे ?
जवाब- अगले तीन साल में महसूस होगा कि मध्यप्रदेश के युवाओं में इंटरप्रन्योरशिप की कोई कमी नहीं है, जबकि 1978 में देश का सबसे ज्यादा अच्छा इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड एमपी का माना जाता था.
इसके बाद साल 1990 से 2000 के दौरान बिजली की हालत खराब हो गई, स्थिति यह हो गई कि हम अपनी घरेलू जरूरत के हिसाब से भी बिजली पैदा नहीं कर पा रहे थे, उस दौरान प्रदेश में 2700 मेगावाॅट बिजली थी, जबकि घरेलू खपत ही 5000 मेगावाॅट थी, ऐसे स्थिति में मध्यप्रदेश में उद्योग कैसे आते.
सवाल- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी, सुंदर लाल पटवा और वीरेन्द्र सकलेचा, उन्होंने कहा था कि एमपी को इंडस्ट्री का हब बनाएंगे, लेकिन यह अब तक नहीं हो पाया ?
जवाब - हमें 10 साल तो बिजली के मैनेजमेंट को ही सही करने में लग गए, अब उद्योगपति को बिजली और सड़क जैसी आधारभूत संरचना को लेकर समस्या नहीं है, प्रदेश में ट्रेंड मैनपाॅवर की कमी नहीं है, एमपी में आईटी के बेस्ट एक्सपर्ट भी है, प्रदेश में पिछले 5 सालों में इंडस्टी की ग्रोथ हुई है, अब इसकी ग्रोथ तेजी से होगी, एक तरह से इंडस्ट्री सेक्टर फ्लाई करने को तैयार हैं.
प्रदेश में हाल ही में 1800 इंडस्ट्री स्थापित की गई थी, जिसमें से 11 सौ से ज्यादा में प्रोडक्शन शुरू होने जा रहा है, अगले माह 3000 इंडस्ट्री शुरू होने जा रही है. कोरोना के इस संकट के दौर में भी 1800 इंडस्ट्री आई है, यदि परिस्थितियां सामान्य होती तो 5000 इंडस्ट्री आती, एमपी के युवाओं ने नकारात्मक माहौल में भी इंडस्टी खड़ी कर दी, गुजरात और महाराष्ट्र पहले से नंबर एक पर हैं, हमें अपेक्षा करना होगी कि गुजरात और महाराष्ट्र की अपेक्षा ग्रोथ ज्यादा आएगी या नहीं.