भोपाल। मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस हर क्षेत्र में बदलाव कर रही है. राज्य के संस्कृति विभाग में भी यह कवायद चल रही है. संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ का कहना है कि संस्कृति जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं, इसलिए राज्य में अब भगवा पर नहीं, बल्कि कल्चर (संस्कृति) पर जोर दिया जाएगा. यही कारण है कि वर्तमान सरकार सभी संस्कृतियों को बढ़ावा दे रही है.
संस्कृति से भरा हुआ है मध्यप्रदेश
संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि बीजेपी के राज में संस्कृति विभाग को पूरी तरह भगवाकरण करने की कोशिश की गई, कुछ समिति धार्मिक आयोजनों से आगे नहीं निकली, जिसके कारण भारत की संस्कृति पीछे छूट गई. मध्यप्रदेश वह राज्य है जहां विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है. यहां कई जनजातियां है और उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. उनकी संस्कृति, संस्कार, जीवनशैली, समस्याओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है.
मध्यप्रदेश विविध संस्कृतियों का प्रदेश है, जो देश के मध्य में स्थित है. जनजातियों के अलावा यहां महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब सहित अन्य संस्कृति से नाता रखने वाले लोग भी रहते हैं. इसके साथ ही यहां बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़ आदि संस्कृतियां भी हैं, लिहाजा सभी संस्कृतियों का प्रचार-प्रसार और विस्तार हो, हर वर्ग इसे जानें, इसके लिए प्रयास जारी है और विभाग इस दिशा में काम भी कर रहा है."
सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का जिक्र
सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का ज्रिक करते हुए विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि "राज्य सांस्कृतिक और साहित्य के तौर पर समृद्ध है. यहां बड़े-बड़े लेखक और साहित्यकार हुए हैं और वर्तमान में भी कला और संस्कृति से जु़ड़े लोगों को मंच देने की कोशिश हो रही है, साथ ही युवा प्रतिभाओं को अवसर मिले, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं.