भोपाल।मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ऐसे विभागों पर स्वत: संज्ञान लिया है जहां लगातार लापरवाही हो रही है और जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने 8 मामलों में संबंधित विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी कर समय सीमा के भीतर जवाब देने के आदेश दिए हैं.
- कौन-कौन से हैं मामले:
- शिकायत करने स्ट्रेचर से पहुंचा पीड़ित:भोपाल शहर के बैरागढ़ थाना में अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिये एक पीड़ित को स्ट्रेचर पर आना पड़ा. बीते सोमवार को पीड़ित के साथ स्टेशन रोड पर मारपीट हुई थी, जिसमें उसके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गये थे. वह चलने में असमर्थ था, परिजन द्वारा उसे इलाज के लिये अस्पताल ले जाया गया. घटना की शिकायत करने जब उसने बैरागढ़ थाने में फोन किया तो, उसे खुद थाने में आने के लिये कहा गया.मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में सुसंगत दस्तावेजों की प्रतियों सहित तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
- हिरासत में जहर से युवक की मौत का मामला:राजगढ़ जिले में एक नाबालिग के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार 20 साल के युवक की पुलिस हिरासत में जहर खाने से मौत होने की घटना सामने आई है. मृतक युवक के माता-पिता ने पुलिस के खिलाफ आरोप लगाये है और पुलिस के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग भी की है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, राजगढ़ से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में एक माह में जवाब मांगा है.
- रायसेन जिले में बरामदे में पाठशाला:रायसेन जिले के सुल्तानगंज तहसील अंतर्गत बेरसला गांव, खमरिया टीएजनी गांव, गुंदरई गांव और अमोली गांव के स्कूल भवन की हालत क्षतिग्रस्त होने का मामला सामने आया है. इनमें अब बच्चों की कक्षाएं लगाना खतरनाक साबित होता जा रहा है. सुरक्षा के अभाव को देखते हुये खुले मैदान पर फर्श बिछाकर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. जर्जर हो चुके स्कूल भवनों लेकर संस्था प्रभारी ने कई बार अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन अबतक कोई सुधार नहीं हो पाया है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त, स्कूल शिक्षा म.प्र. संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर विद्यालयों में भवनों को सुरक्षित अवस्था में लाये जाने और बच्चों की सुरक्षा के संबंध में की गई कार्रवाई के संबंध में एक माह में जवाब मांगा है.
- भिंड में अस्पताल में गर्भवती की मौत:जिला अस्पताल भिंड में बीते बुधवार को अस्पताल के लेबर रूम में एक गर्भवती की मौत होने की घटना सामने आई है. गर्भवती की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया. कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये हैं. इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ, भिंड से घटना की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
- छह माह से वेतन से वंचित शिक्षक: सतना जिले के मेडिकल काॅलेज के शिक्षकों का वेतन और रेजिडेंट डॉक्टरों का स्टाइपेंड का भुगतान नहीं होने का मामला सामने आया है. इसी तरह दतिया मेडिकल कॉलेज के सीनियर और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने स्टाइपेंड का भुगतान नहीं होने का मामला सामने आया है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मेडिकल काॅलेज, सतना एवं दतिया के संबंध में संचालक, चिकित्सा शिक्षा (म.प्र.) डीएमई, संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
- सल्फास खाकर थाने पहुंचा किसान, मौत: श्योपुर जिले के देहात थानाक्षेत्र के मातासुला गांव में एक किसान ने सल्फास खाकर अपनी जान देने की घटना सामने आई है. जानकारी के अनुसार किसान रामविलास मीणा की जमीन पर कुछ दबंगों ने अवैध कब्जा कर रखा था. न्याय के लिये किसान ने कई बार शिकायत की. न्याय ना मिलने पर किसान आहत होकर सल्फास खाकर थाने पहुंच गया.उसे इलाज के लिये अस्पताल ले जाने के दौरान किसान ने रास्ते में दम तोड़ दिया. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, श्योपुर से घटना की जांच कराकर मृतक के संबंध में मप्र शासन एवं पुलिस को की गई शिकायतों के संबंध मे जानकारी एंव की गई कार्रवाई के साथ ही मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
- मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे रहवासी: गुना जिले के वार्ड क्रमांक 01 नानाखेड़ी स्थित अगरिया बस्ती, दीनदयाल नगर के रहवासी पिछले डेढ़ दशक से मूलभूत सुविधाओं के लिये परेशान हैं. नगरपालिका द्वारा क्षेत्र में सर्वे का काम पूरा नहीं किये जाने के कारण उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, गुना से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.