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निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद, फीस नियामक आयोग से भी नहीं हुआ समाधान

स्कूल फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद जारी है. मध्य प्रदेश पालक संघ का कहना है कि फीस नियामक आयोग के निर्देशों के बाद भी निजी स्कूल मनमानी कर रहे है. वहीं स्कूल प्रबंधन यह तर्क दे रहा है कि स्टाफ की सैलरी और अन्य खर्च पूरे नहीं हो पा रहे है.

Dispute between private school management and parents
निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद

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Published : Jul 4, 2021, 12:08 AM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश मेंस्कूल फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद जारी है. अभिभावक स्कूलों पर ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस वसूली के आरोप लगा रहे हैं. दूसरी तरफ निजी स्कूलों की ओर से स्टाफ की सैलरी और अन्य खर्च जैसे कई तर्क दिए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में फीस नियामक आयोग लागू है, लेकिन पालक संघ ने इसमें कई विसंगति होने के कारण गंभीर आरोप लगाए हैं.

स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश

10% से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते

मध्य प्रदेश में निजी स्कूल अपनी मर्जी से सिर्फ 10 प्रतिशत फीस ही बढ़ा सकते हैं. इससे ज्यादा फीस वृद्धि पर उन्हें जिला समिति की मंजूरी लेनी होगी. अगर निजी स्कूल 15 फीसद या इससे ज्यादा फीस बढ़ाते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा. स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से फीस से जुड़ा नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था.

स्कूल शिक्षा विभाग की मॉनीटरिंग

स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों से 2017 से अब तक की बैलेंस शीट मांगी गई है. फीस से संबंधित नया खाता खोलने की भी सलाह दी गई है, ताकि मॉनिटरिंग करना आसान हो सके. स्कूल सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले निजी स्कूलों को अपने पोर्टल और शिक्षा विभाग के पोर्टल पर फीस संबंधित जानकारी अपलोड करने का प्रस्ताव भी दिया गया था. लेकिन अभी उस पोर्टल पर काम चल रहा है. कोरोना की वजह से यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है.

प्रमोद पंड्या, महासचिव, मध्य प्रदेश पालक संघ

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पालकों को हो रही परेशानी

मध्य प्रदेश पालक संघ के महासचिव प्रमोद पंड्या ने बताया कि फीस नियामक आयोग को फरवरी 2018 में मध्य प्रदेश में लागू कर दिया गया, लेकिन इसमें नियम बनाने के लिए सरकार को लगभग 3 साल का समय लग गया. दिसंबर 2020 में इसके नियम बनाकर इसको प्रभाव में लाया गया. उन्होंने बताया कि जब पहले एक्ट बन गया था, तो नियम बनाने में इतना समय क्यों लगा. अब इसको लागू करने के बाद विसंगति यह है कि जिले स्तर पर इसके लिए कमेटी जिसका सचिव जिला शिक्षा अधिकारी और अध्यक्ष कलेक्टर को बनाया गया है, वह अभी वर्किंग में नहीं आई है.

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कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं : पालक संघ

मध्य प्रदेश पालक संघ के महासचिव ने बताया कि किसी एक स्कूल के एक पालक ने भी शिकायत दर्ज की, तो उसे सभी बच्चों से जोड़कर देखना चाहिए. जबकि हमारे यहां सरकार चाहती है कि हर बच्चा या हर अभिभावक अलग-अलग शिकायत करें, जोकि संभव नहीं है. 2021 में काफी स्कूलों और अभिभावकों के बीच फीस को लेकर विवाद हुए, लेकिन राज्य सरकार ने इसमें कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की.

सरकार पर गंभीर आरोप

प्रमोद पंड्या ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के दबाव में है. 2020 में कोरोना के चलते हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय में केवल ट्यूशन फीस लेने का उल्लेख है, जिसमें राज्य सरकार ने स्वयं एक आदेश निकाल कर सभी कलेक्टरों को उस आदेश का परिपालन कराने को कहा है. यह आदेश कोरोना काल तक मान्य रहेगा, लेकिन उसके बाद भी आदेश को लोग अलग-अलग परिभाषित कर रहे हैं.

केके द्विवेदी, संचालक, लोक शिक्षण संचनालय
  • फीस नियामक आयोग पारदर्शिता के लिए जल्द शुरू करेगा पोर्टल

लोक शिक्षण संचनालय के संचालक केके द्विवेदी ने बताया कि फीस नियामक आयोग 2018 से लागू कर दिया गया था. इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए पोर्टल बनाया जा रहा है. पोर्टल बनने के बाद इसमें सब सभी चीजें सम्मिलित की जाएंगी. उन्होंने बताया कि 10% से अधिक और 15℅से कम तक फीस बढ़ाने के लिए निजी स्कूल आयोग को उचित कारण बताकर अनुमति के बाद ही फीस बढ़ा सकते हैं. उन्होंने बताया कि कमेटी गठन के लिए कोई अलग से आदेश की आवश्यकता नहीं है. अधिनियम में ही उसका प्रावधान है.

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