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बाबरी मस्जिद विध्वंस के फैसले पर बोली कांग्रेस, 'हम लोकतंत्र अपनाना चाहते हैं या फिर भीड़तंत्र'

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की सीबीआई अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि अभी जो फैसला आया है. उसमें सीबीआई ने एक बात कही है कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. इसी आधार पर उसने सभी को बरी कर दिया है. कानून के लिहाज से बड़ा सवाल खड़ा यह होता है कि हम लोग लोकतंत्र को अपनाना चाह रहे हैं या फिर भीड़तंत्र को अपनाना चाह रहे हैं.

Bhupendra Gupta
भूपेंद्र गुप्ता

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Published : Sep 30, 2020, 1:50 PM IST

भोपाल। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत के फैसले पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सीबीआई की अदालत ने जिस आधार पर सभी 32 आरोपियों को बरी किया है. इस हिसाब से कानून के लिहाज से बड़ा सवाल खड़ा होता है कि हम लोकतंत्र को अपनाना चाह रहे हैं या फिर मॉबतंत्र को. इस मामले में सरकार को अपील करना चाहिए. क्योंकि यह फैसला भविष्य के लिए नजीर बनेगा और इसके व्यापक असर देखने को मिलेंगे.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि अभी जो फैसला आया है, उसमें सीबीआई ने एक बात कही है कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. इसी आधार पर उसने सभी को बरी कर दिया है. कानून के लिहाज से बड़ा सवाल खड़ा यह होता है कि हम लोग लोकतंत्र को अपनाना चाह रहे हैं या फिर भीड़तंत्र को अपनाना चाह रहे हैं. इस फैसले के भविष्य में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे, जो बहुत व्यापक हो सकते हैं. क्योंकि भीड़तंत्र के द्वारा किए गए किसी भी अपराध को इसी आधार पर क्षम्य किया जा सकता है, तो यह बड़ा सवाल है.

भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि इस मामले में सरकार को अपील करना चाहिए. ऐसा मेरा सोचना है और देश को इस बार विषय पर विचार करना चाहिए कि भीड़ के द्वारा भले ही आकस्मिक रूप से कोई अपराध किया जाता है, तो क्या ऐसा अपराध क्षमा योग्य है. अगर क्षमा योग्य है तो यह फैसला नजीर बनेगा और नए रास्ते दिखाएगा. अगर देश चाहता है कि हमें लोकतांत्रिक गतिविधियों को जारी रखना है और भीड़ के हाथ में कानून नहीं देना है, तो निश्चित रूप से इस पर अपील होना चाहिए और अदालत को विचार करना चाहिए. यह कानून के लिहाज से बड़ा सवाल है और बड़ी अदालतों को इस पर विचार करना जरूरी है.

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