भोपाल।दिल्ली में हाल ही में बनकर तैयार हुए मध्य प्रदेश भवन की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. यह सवाल प्रदेश के आवास आयुक्त पंकज राज ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर उठाए हैं. शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत एनबीसीसी द्वारा कराए गए निर्माण को लेकर आवास आयुक्त पंकज राग ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि भवन के Electrification के काम में कई कमियां सामने आई है. अधिकांश उपकरणों और फिटिंग में निर्धारित स्पेसिफिकेशन के अनुसार काम नहीं किया गया और निर्धारित ब्रांड और गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा गया है. आवास आयुक्त के पत्र के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने इसकी जांच के लिए एक दल का गठन कर दिया है.
आवास आयुक्त ने पत्र में उठाया यह सवाल: अपने पत्र में आवासीय आयुक्त पंकज राग ने लिखा है कि "नवनिर्मित मध्य प्रदेश भवन निर्माण परियोजना में शासन द्वारा एनबीसीसी को निर्माण एजेंसी रखा गया था. परियोजना में एनबीसीसी को भवन निर्माण का कार्य के सुपरविजन व पीएमसी संबंधित सेवाओं के लिए 79% सर्विस चार्ज देना सुनिश्चित किया गया. एनबीसीसी के द्वारा किए गए कामों का उनके स्तर पर सुपरविजन किया गया. साथ ही बताया गया कि समस्त निर्माण निर्धारित स्पेसिफिकेशन के अनुसार ही किया गया है. सभी फिटिंग के काम में निर्धारित ब्रांड और गुणवत्ता का ख्याल रखा गया है. मध्य प्रदेश भवन को टेकओवर करने के पहले भवन के कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण किया गया तो इसमें कई कमियां सामने आई है.
निरीक्षण में सामने आया कि प्रत्येक कमरे, अधिकांश उपकरणों एवं फिटिंग में निर्धारित स्पेसिफिकेशन के अनुसार कार्य न होना, कुछ फिटिंग निर्धारित ब्रांड एवं गुणवत्ता के ना होना, व लूज इलेक्ट्रिकल वायरिंग, बिना इंस्टॉलेशन की एसी डक्ट लगाया गया है. बेसमेंट बाथरूम में पानी के सम्पवेल आदि में सीपेज पाया गया है. कुछ-कुछ जगह रनिंग पाइप के मटेरियल में भी परिवर्तन किया गया है, इसमें कुछ लंबाई में लोहे के पाइप है, बीच-बीच में पीवीसी अथवा प्लास्टिक के पाइप को जोड़ा गया है. जो निर्धारित स्पेसिफिकेशन के विरुद्ध है. पूछने पर बताया गया है कि आईबीएमएस में इसका प्रावधान नहीं किया गया था. मध्य प्रदेश भवन के तकनीकी सलाहकार एवं अन्य अधिकारी द्वारा भी इस संबंध में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. इससे पता चलता है कि एनबीसीसी में निर्माण का सुपरविजन ना तो निर्माण के समय ठीक ढंग से किया गया और ना ही उसके बाद हैंडओवर करने के पहले इसका ध्यान रखा गया.