भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायतों के वित्तीय अधिकार वापस देने के बाद राज्य सरकार पंचायतों में होने वाले भ्रष्टाचार पर सख्त हो गई है. सरकार अब हर जिला पंचायत में लोकपाल की (madhya pradesh appoint lokpal) तैनाती करने जा रही है. यह लोकपाल पंचायतों में (lokpal monitor mnrega work in panchayat) होने वाले मनरेगा के काम, पंचायत निधि का उपयोग, भुगतान और सोशल ऑडिट सहित 22 बिंदुओं की समीक्षा और शिकायतों का निराकरण करेगा. खास बात यह है कि प्रदेश में 2021 में भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े गए ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी पंचायत ,राजस्व और ग्रामीण विकास विभाग से ही जुड़े रहे हैं. इसलिए पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए लोकपाल की जरूरत महसूस की जा रही थी.
मध्य प्रदेश में जिला पंचायत स्तर पर होगी लोकपाल की तैनाती दिखावा कर रही है सरकार- कांग्रेस
जिला पंचायत स्तर तक लोकपाल की नियुक्ति किए जाने की सरकार की मंशा पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि पंचायत स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति करने जा रही सरकार इस बात को मानती है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार पंचायतों तक पहुंच चुका है. अगर ऐसा है तो सरकार प्रदेश स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं करती है. जिसकी मांग उठाकर इन्होंने हमारी सरकार गिराई थी. कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और इसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करना सरकार की सिर्फ हवाई हवाई बातें हैं. जबकि सच्चाई यह है भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली तमाम जांच एजेंसियों के सरकार ने हाथ बांध रखे हैं. केंद्र ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है कि बिना राज्य सरकार की अनुमति के एजेंसियों को कार्रवाई करने की अनुमति नहीं है इसके लिए उन्हें संबंधित विभाग से परमीशन लेनी पड़ती है.
15 दिन में होगा शिकायत का निपटान
राज्य सरकार सभी जिलों में मनरेगा लोकपाल की तैनाती करेगी. इसमें मनरेगा गारंटी के अधीन कम खर्च वाले छोटे जिलों को एक साथ जोड़ा जाएगा. लोकपाल की नियुक्ति पर वे 22 विषयों से जुड़ी शिकायतों पर नजर रखेंगे. इनमें ग्राम सभा, परिवारों के पंजीकरण, जाॅब कार्ड जारी किए जाने, जाॅब की मांग, किसी भी काम को करने की तारीख , मंजूरी जारी करने, मजदूरी के भुगतान, बेरोजगारी भत्ते का भुगतान, लिंग के आधार पर भेदभाव, कार्यस्थल पर सुविधाएं, कार्य की गुणवत्ता, निधियों का उपयोग आदि की निगरानी करेंगे और शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी कर सकेंगे. शिकायत मिलने पर 15 दिन में उनका निपटारा करना आवश्यक होगा.
क्यों पड़ी लोकपाल की जरूरत
पंचायतों को सरकार की तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन की आखिरी ईकाई माना जाता है. निचले तबके तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी पंचायतों की ही होती है, लेकिन बीते साल में पंचायतों में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. साल 2021 में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा की गई कार्रवाईयों में राजस्व, पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग के ही सबसे ज्यादा भ्रष्य अधिकारी और कर्मचारी पकड़े गए हैं. जिनमें एसडीएम से लेकर पटवारी और पंचायत सचिव तक शामिल रहे हैं. दूसरी तरफ मनरेगा में भी गड़बड़ियों की भी शिकायतें सामने आती रही हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी (मनरेगा) अधिनियम के तहत पहले से बने नियमों को खत्म कर नए नियम बनाना प्रस्तावित किया है. जिसके लिए सरकार ने एक माह में दावे आपत्तियां बुलाई हैं. इसके बाद इन नियमों को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.
निगरानी समिति रखेगी नजर
लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयों पर कार्रवाई की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी का एक सेटअप तैयार किया जाएगा. जो निर्णय पर कार्रवाई न होने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. इसे लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयों और कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी जाएगी. राज्य सरकार भी लोकपाल के कार्यालय के कार्यों की समय समय पर समीक्षा करेगी. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के मुताबिक लोकपाल की तैनाती को लेकर नियम जारी कर दिए गए हैं. दावे आपत्ति के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.