भोपाल। दुनिया के 195 देशों को अपनी चपेट में ले चुका खतरनाक वायरस कोरोना लगातार भारत में भी अपने पैर पसारता जा रहा है. कोरोना से बचाव के लिए केन्द्र सरकार ने 22 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया था, इसके दो दिन बाद ही 24 मार्च से पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया गया. मध्यप्रदेश में 24 मार्च से लेकर अब तक कोरोना के पॉजिटिव मामले 2300 के पार हो गया है और 113 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
मध्यप्रदेश में कोरोना का सबसे पहला मामला जबलपुर जिले में सामने आया था, इसके बाद इंदौर और फिर भोपाल में कोरोना के पॉजिटिव मरीज मिले, कोरोना पॉजिटिव का पहला मामला 20 मार्च को जबलपुर में सामने आया था. जिस दिन लॉकडाउन किया गया यानी कि 24 मार्च को मध्यप्रदेश के केवल तीन जिलों में ही कोरोना के मरीज पाए गए थे, लेकिन ठीक उसके दूसरे दिन 25 मार्च को कुल 15 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिनमें जबलपुर के 6, इंदौर के 4, भोपाल के 2, ग्लावियर-1, शिवपुरी-1 और उज्जैन में 1 पॉजिटिव मरीज शामिल हैं.
हालांकि ये आंकड़ा यहीं नहीं थमा और इसके बाद हर दिन अलग-अलग जिलों में कोरोना के मरीज मिलने लगे. आने वाले दिनों में कोरोना वायरस इस कदर हावी हुआ कि अगले 20 दिनों में ही मध्यप्रदेश के 25 जिलों में कोरोना का संक्रमण फैल गया. इनमें भी सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और खरगोन शामिल है. इस बीच राजधानी भोपाल में सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मी और दिन रात अस्पतालों में सेवाएं देने वाला स्वास्थ्य विभाग का अमला सबसे ज्यादा कोरोना की चपेट में आया.
स्वास्थ्य विभाग की सचिव पल्लवी गोविल जैन भी कोरोना पॉजिटिव पाई गईं तो स्वास्थ्य मिशन के डॉयरेक्टर आईएएस जे विजय कुमार भी पॉजिटिव पाए गए. यही नहीं स्वास्थ्य विभाग की सहायक संचालक वीणा सिन्हा और गिरिश शर्मा, सोमेश मिश्रा सहित स्वास्थ्य विभाग के करीब 100 अधिकारी कर्मचारी भी पॉजिटिव पाए गए हैं. अब तक पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की बात करें तो कुल 34 कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. कोरोना संक्रमण के चलते उज्जैन के एक और इंदौर के एक टीआई की मौत भी हो गई है, जबकि इंदौर के ही दो डॉक्टरों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो चुकी है. इसके अलावा होशंगाबाद के भी एक डॉक्टर ने कोरोना के चलते दम तोड़ दिया. पुलिस विभाग के कर्मचारियों और उनके परिवार के करीब 150 से ज्यादा लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और उनके संपर्क में आए करीब 1000 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है.
कोरोना वायरस के मद्देनजर 24 मार्च से संपूर्णलॉक डाउन किया गया है. लेकिन जब भोपाल और इंदौर में लगातार कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने लगे तो सरकार ने लॉकडाउन में और भी ज्यादा सख्ती बरती और यहां सिर्फ मेडिकल स्टोर और दूध की दुकानें ही खोले जाने के आदेश जारी किए. इसके साथ ही सरकार ने नगर निगम के जरिए घरों तक हरी सब्जी और फल के साथ ही आवश्यक सामग्री पहुंचाने की भी योजना शुरू की. इतना ही नहीं जिन इलाकों में 10 से ज्यादा पॉजिटिव केस पाए गए, उन इलाकों को हॉटस्पाट के रूप में तब्दील किया गया और बैरिकेडिंग कर पूरे इलाके को सील किया गया. इन इलाकों में बाकायदा ड्रोन कैमरों से नजर रखी जा रही है. साथ ही यहां ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मचारियों को पीपीई किट मुहैया कराई जा रही है.
मध्यप्रदेश में कुल 548 कंटेन्मेंट एरिया घोषित किया गया है, जिनमें 26 लाख से भी ज्यादा की आबादी रहती है. सरकार ने कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना की भी शुरूआत की है. इस योजना में पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी और निगमकर्मियों को शामिल किया गया है. इसी योजना के तहत इंदौर-उज्जैन के टीआई की मौत के बाद उसके परिवार को 50 लाख रूपए की सहायता राशि दी गई है. साथ ही दोनों परिवारों के एक एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा सरकार ने किया है. इसके अलावा एक आदेश जारी कर सरकार ने किराना दुकान संचालक और कर्मचारियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. अगर इस आदेश की अवहेलना की जाती है तो दुकान संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं राज्य शासन ने लॉकडाउन के चलते राजस्थान में फंसे करीब ढाई हजार छात्र-छात्राओं को वापस मध्यप्रदेश लाने का भी काम किया है और अब दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को भी मध्यप्रदेश वापस लाने की योजना बनाई जा रही है.
इधर लॉकडाउन में पुलिस भी लगातार सड़कों पर तैनात है. सरकार ने पुलिस कर्मचारियों के लिए चेकिंग प्वाइंट्स पर मास्क, सैनिटाइजर, गर्म पानी सहित टेंट की व्यवस्था की है. इसके अलावा पुलिसकर्मियों को होटल, धर्मशाला और मैरिज गार्डन में भी ठहराया जा रहा है. जिससे उनके परिवार के लिए कोई खतरा पैदा न हो. लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर अब तक सिर्फ भोपाल में ही 2345 एफआईआर दर्ज कर वाहन भी जब्त किए गए हैं, इसके अलावा सीसीटीवी सर्विलांस की मदद से कंट्रोल रूम में ही सीधे कंटेन्मेंट क्षेत्र की मॉनिटरिंग की जा रही है.