भोपाल। राजधानी का माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध विभाग न सिर्फ पत्रकारिता के विकास से रूबरु कराता है बल्कि हिंदी विकास की कहानी भी बताता है. सन्1982-83 में हिंदी ग्रंथ अकादमी के लिए मध्य प्रदेश में पत्रकारिता के इतिहास की पांडुलिपि तैयार करने के सफर के दौरान पद्मश्री पत्रकार विजय दत्त श्रीधर प्रदेश के कई इलाकों में घूमे. इतिहास को संजोने के लिये जब पत्रकार श्रीधर हिंदी और पत्रकारिता के विकास के लिए अतुलनीय योगदान देने वालों के परिवारों से मिले तो उन्हें समझ आया कि पत्रकारिता जगत की महान विभूतियों की पत्र-पत्रिकाओं और दस्तावेजों का संग्रह जर्जर हो रहा है. जबलपुर के पंडित रामेश्वर गुरु ने विजय दत्त श्रीधर को प्रेरणा दी कि वह इन दुर्लभ दस्तावेजों को जगह संग्रहित करें. 19 जून 1984 से माधव राव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय का मिशन शुरू हुआ, जो आज देश का ऐसा संग्रहालय है जहां सालों पुराने साहित्यकारों और पत्रकारों के हस्तलिखित दस्तावेज मौजूद हैं.
सप्रे संग्राहलय एवं शोध संस्थान का महत्व-
हिंदी विकास में संस्थान के योगदान को लेकर संस्थान की निदेशक डॉं. मंगला अनुजा ने बताया कि इस संग्राहलय में सन् 1512 से लेकर आज तक की बौद्धिक विरासत यहां संरक्षित की जा रही है. माधवराव सप्रे ने मराठी भाषी होकर भी हिंदी के लिये बहुत काम किया है. हिंदी भाषा के विकास के जीवंत दस्तावेज हमें सप्रे संग्रहालय में मिल जाते हैं.