भोपाल। मध्यप्रदेश में मुरैना में जहरीली शराब से मौतों के मामले में सरकार के आबकारी विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं जहरीली शराब वाले इलाकों में छापेमारी में शराब की बोतलें और प्रिंटेड पाउच पकड़े गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि शराब निर्माण में उपयोग होने वाला मोलेसिस जहरीले शराब के ठिकानों पर क्यों मिल रहा हैं. इस मामले में आबकारी विभाग का कहना है कि हमने जहरीली शराब के मामले में आबकारी विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन की भी जिम्मेदारी तय कर दी है.
सरकारी दुकानों पर MRP से दोगुने दाम पर बिक रही शराब- विपक्ष
दरअसल मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग ने आरोप लगाए हैं कि प्रदेश में जहरीली शराब के कांड इसलिए हो रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में सरकार एमआरपी से दोगुनी और तीन गुने दामों पर शराब बेच रही है, इसलिए सस्ती शराब की जुगाड़ में लोगों की मौत हो रही है. मीडिया विभाग उपाध्यक्ष का कहना है कि 'मैं मांग करता हूं कि इन सारे छापामारी में शराब की बोतलें और पाउच पकड़े गए हैं, जो प्रिंटेड सामग्री पकड़ी गई है, जिसमें नकली शराब प्रदाय की जाती है, उन सारे प्रिंटिंग प्रेस और फैक्ट्री तक सरकार जाए, और जांच करें, कि कहां यह छप रही हैं ताकि और बड़े जखीरे और ग्राहकों का पता चल सके.'
मोलेसिस(शीरा) जहरीली शराब के ठिकानों पर कहां से पहुंचा
कांग्रेस ने कहा है कि 'जो छापेमारी में जहरीली शराब के ठिकानों पर मोलेसिस पकड़ा गया है, टंकियों में जमीन के अंदर गढ़ी हुई शराब पकड़ी गई है, उनको मोलेसिस कौन सी डिस्टलरीज ने सप्लाई किया था, कौन लोग हैं जो इस घोटाले में शामिल हैं. भाजपा के नेता जो पकड़े गए हैं उन्हें पार्टी से बेदखल करने से कुछ नहीं होगा उनके खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाए और जानकारी सार्वजनिक की जाए.'