भोपाल।प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे होने वाले संक्रमण से बचाव की तैयारियों में सरकार जुटी है, ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर एंटी फंगल इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी की आपूर्ति और वितरण को लेकर निगरानी के आदेश भी जारी हो चुके हैं जिससे यह दवा सीधे तौर पर अस्पतालों को ही मिलेगी, दवा विक्रेताओं को यह इंजेक्शन नहीं मिल सकेंगे, जिससे कालाबाजारी और मुनाफाखोरी जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा लेकिन इस दवा की आपूर्ति अब भी मांग के लिहाज से पूरी नहीं हो पा रही है, सरकार ने राजधानी के हमीदिया अस्पताल में इंजेक्शन 'एंफोटरइसिन बी' के लिए हेल्प डेस्क शुरू कर दी है अब यहां से तमाम अस्पतालों में भर्ती मरीजों को यह इंजेक्शन मिल रही है, अस्पताल प्रबंधन और उसके इलाज की रिपोर्ट के आधार पर गांधी मेडिकल कॉलेज से अप्रूवल मिल रहा है, इसके बाद ही मरीजों को इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे हैं.
4-6 की जरूरत, मिल रहे सिर्फ 2 इंजेक्शन
गफलत यह है कि मरीजों को उनके इलाज के लिए उस मात्रा में इंजेक्शन प्राप्त नहीं हो रहे हैं, जितनी उनको जरूरत है, ब्लैक फंगस की बीमारी से जूझ रहे अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों को 4 से 6 इंजेक्शन का डोज यानी 200 एमजी से लेकर 300 एमजी दवा प्रतिदिन लग रही है, लेकिन हमीदिया के स्टोर सेंटर से उन्हें केवल 100 एमजी यानी कि 2 इंजेक्शन मिल पा रहे हैं, मरीज के अटेंडर गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ऑफिस आकर दस्तावेज जमा करते हैं, यहां से उन्हें केवल 2 इंजेक्शन प्राप्त करने की परमिशन मिल रही है, मजबूरी में मायूस होकर मरीज के परिजनों को संतुष्ट होकर लौटना पड़ रहा है. इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है शासन द्वारा जितनी मात्रा में इंजेक्शन उपलब्धत कराया जा रहा है, उसी आधार पर हम वितरण कर पा रहे हैं, ऐसे में उन मरीजों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ सकती हैं. जो ब्लैक फंगस से गंभीर रूप से संक्रमित हैं. जिन्हें रोजाना 4 या 6 एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन लगाए जाने की जरूरत है. शासन द्वारा की गई यह व्यवस्था मरीजों तक पुख्ता इलाज पहुंचाने में नाकाम साबित हो रही है. जिससे ब्लैक फंगस पर काबू पाने के दावे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं
4,792 का एक इंजेक्शन, कालाबाजारी पर लगेगा अंकुश
म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के उपचार के लिए एंफोटरइसिन बी-50 एमजी इंजेक्शन उपयोगी बताया जाता है जिसकी कमी सामने आ रही थी. साथ ही इसकी कालाबाजारी भी बढ़ रही थी. अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों का कहना है उन्हें दवा बाजार में ढूंढने पर भी इंजेक्शन नहीं मिल रहा था. जबकि ब्लैक में 7 से 8 हजार कीमत का यह इंजेक्शन 10 हजार तक मिल रहा था. लेकिन शासन के नए आदेश अनुसार अब एंफोटरइसिन बी-50 एमजी इंजेक्शन 4,792 कीमत में मिल रहा है. जिसे हमीदिया के मेडिकल स्टोर से दिया जा रहा है. गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ऑफिस से परमिशन लेने के बाद स्टोर से पैसे जमा कर के खरीदा जा रहा है. इस लिहाज से मरीजों को काफी राहत मिल रही है परिजन सीधे तौर पर अस्पताल आकर इंजेक्शन प्राप्त कर रहे हैं. इससे पहले मरीजों को इस इंजेक्शन के लिए परेशान होना पड़ रहा था. यहां तक की तय कीमत से अधिक दाम चुकाने के बाद भी यह दवा नहीं मिल पा रही थी.
रेमडेसिविर के बाद 2 और इंजेक्शन बाजार से गायब! ब्लैक फंगस के इलाज में काम आते हैं यह इंजेक्शन