भोपाल। कोरोना काल में जेईई और नीट की परीक्षा कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन की न सिर्फ अवहेलना कर रही है, बल्कि देश के भविष्य के जीवन को भी खतरे में डाल रही है. बीजेपी सरकार को उपदेश देने की बजाय छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं.
उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में परीक्षाओं का आयोजन केंद्र सरकार की हठधर्मिता है. लाखों विद्यार्थियों को देश भर के परीक्षा केंद्र पर जाना पड़े और इस दौरान उनके साथ उनके माता-पिता या परिजन भी होंगे. ऐसे में उन सभी परीक्षार्थियों और उनके परिजनों को संक्रमण का खतरा है और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कांग्रेस बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी.
बच्चों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा
चौधरी ने कहा कि परीक्षा देने वाले छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा है. बड़ा सवाल ये भी है कि इस परीक्षा के लिए छात्रों को सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था कैसे होगी? इसके अलावा कौन से अनिवार्य नीति नियम होंगे, जिनके आधार पर ये परीक्षा आयोजित कर पाएंगे. सरकार भूल गई है कि देश में रोजाना 60 से 70 हजार नए कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. इस दौरान साढे 16 लाख छात्र नीट और 9 लाख छात्र जेईई में शामिल होंगे. ये छात्रों की जान से खिलवाड़ करना है.
जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर
देश में जहां 34 लाख कोरोना संक्रमित हैं और 60 हजार की मृत्यु हो चुकी है. ऐसी स्थिति में जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर रखे गए हैं. हर परीक्षा केंद्र पर 14 से 15 सौ छात्र परीक्षा देंगे. सरकार ने अचानक एक फरमान जारी कर दिया कि 1 सितंबर से पहली परीक्षा शुरू होगी और 13 सितंबर से दूसरी परीक्षा शुरू होगी, लोग कैसे सामंजस्य बना पाएंगे. जेईई-नीट परीक्षार्थियों के भविष्य के लिए यह सबसे कठिन और महत्वपूर्ण परीक्षा है. इन परिस्थितियों में बिना तैयारी के परीक्षा देना भी बच्चों के लिए मुश्किल होगा.
विशेष शेड्यूल बनाए सरकार