भोपाल\कासगंज: नवरात्रि त्योहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. ये त्योहार देश के कोने-कोने में मनाया जाता है. इस पर्व में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं इस दौरान लोग 9 दिनों तक उपवास भी रखते हैं. वहीं इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 07 अक्टूबर तक हैं .नवरात्रि में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है. आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े कुछ नियम.
शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में कलश स्थापना करते ही घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. वहीं कलश के मुख में विष्णुजी, कंठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा और मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं. कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तितत्त्व का घट अर्थात कलश में आवाहन कर उसे सक्रिय करना. शक्तितत्व के कारण वास्तु में उपस्थित कष्टदायक तरंगे नष्ट हो जाती हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा से निमित्त संकल्प लेकर ईशानकोण में कलश-स्थापना करके की जाती है.
- कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
- कलश स्थापना की तिथि: 29 सितंबर 2019
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा
- शुभ मुहूर्त की कुल अवधि: 1 घंटा 24 मिनट.
नवरात्रि में ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी मां की आराधना करने से मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना का मतलब है कलश की स्थापना करना. कलश स्थापना करते समय नदी की रेत या बालू का उपयोग करें. इस रेत में जौ भी डालें. इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें. फिर 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को रेत के ऊपर स्थापित करें. कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलते रहना चाहिए.
कलश स्थापना से जुड़े खास नियम
- कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करें.
- कलश स्थापना करने के लिए पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल . इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें.
- कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए. कलश को किसी ढक्कन से ढका है, तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें.
- अगर कलश की स्थापना कर रहे हैं, तो दोनों समय इस मंत्र का जाप करें.
- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का भी मनुष्य को पाठ करना चाहिए.
- पूजा करने के बाद मां को दोनों समय भोग लगाएं, सबसे सरल और उत्तम भोग हैं लौंग और बताशा.
- मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है, पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं.
- नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें.
- वहीं नवरात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
ये हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की तिथि
- 29 सितंबर, प्रतिपदा- नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना - शैलपुत्री
- 30 सितंबर, द्वितीया- नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा
- 1 अक्टूबर, तृतीया- नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा
- 2 अक्टूबर, चतुर्थी- नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा
- 3 अक्टूबर, पंचमी- नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
- 4 अक्टूबर, षष्ठी- नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा
- 5 अक्टूबर, सप्तमी- नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
- 6 अक्टूबर, अष्टमी- नवरात्रि का आठवां दिन- महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
- 7 अक्टूबर, नवमी- नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
- 8 अक्टूबर, दशमी- दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी