भोपाल।जनवरी के महीने में आसमान में उड़ती पतंगें मकर संक्राति का संदेश दे देती हैं. मकर संक्राति के त्योहार पर नीला आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाता है. और पतंगबाजों को अच्छा मौका मिल जाता है. आप ने आसमान में पतंग उड़ाने का जुनून तो कई लोगों में देखा और सुना होगा, लेकिन क्या कभी ऐसे शख्स के बारे में सुना है जो पतंग को न सिर्फ उड़ाता है, बल्कि पतंग को पहनता भी है. जी हां, एमपी की राजधानी भोपाल में एक काइटमैन हैं, जो गोल्ड की पतंगों को गले में पहनते हैं.
भोपाल में एक छोटी सी दुकान में पतंग का होलसेल व्यापार करने वाले लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल की पहचान पतंग बेचने के लिए नहीं बल्कि पतंगों के आभूषणों को पहने के लिए है. पुराने भोपाल के इतवारा क्षेत्र में लक्ष्मी टॉकीज के पास लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल की दुकान हैं. वे पिछले 50 साल से पतंग बेचते आ रहे हैं. लेकिन पतंग के प्रति उनका ऐसा लगाव है कि वे गले में, कान में, अंगूठियों में गोल्ड की पतंगों को आभूषण के रूप में पहनते हैं.
10 साल की उम्र में चढ़ा पतंग का शौक
काइटमैन लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल बताते हैं कि वे 50 साल से पतंग उड़ाते आ रहे हैं. जब वे 10 साल के थे, तब उन्हें पतंग का ऐसा शौक चढ़ा की आज तक नहीं उतरा. काइट मैन बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें पतंग उड़ाने की बेसब्री से इंतजार रहता था. हर साल मकर सक्रांति का इंतजार रहता था कि कब त्योहार आए और वे पतंग उड़ाएं. सक्रांति तो साल में 1 दिन के लिए आती है और चली जाती है. उस दिन तो वे जी भरकर पतंग उड़ाते हैं, लेकिन उसके बाद पूरा साल कैसे बीते.
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दिवानगी को बनाया पेशा
काइटमैन ने बताया कि पतंग के प्रति दीवानगी को उन्होंने अपना पेशा ही बना लिया. उन्होंने पतंग का थोक और फुटकर व्यापार शुरू कर दिया. इसके बाद पतंगों से काफी ज्यादा लगाव होने के कारण उन्होंने सोचा कि क्यों न पतंग को गहना बनाकर पहना जाए. उस दिन से ऐसा पतंग के आभूषण बनवाने का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ, जो समय के साथ बढ़ता ही गया.
हर साल संक्राति पर न्यू काइट ज्वेलरी