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Published : Oct 18, 2021, 8:52 PM IST

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Karwa Chauth 2021: 24 अक्टूबर को सुहागनों का सबसे बड़ा त्योहार, जानिए क्यों मनाया जाता है करवा चौथ

करवा चौथ का त्योहार इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इससे जुड़ी कई लोक कहानियां हैं, आइए जानते हैं इन कहानियों के बारे में.

Karwa Chauth 2021
24 अक्टूबर को सुहागनों का सबसे बड़ा त्योहार

हैदराबाद। करवा चौथ का नाम सुनते ही आपके मन में 16 श्रृंगार से सजी महिला और अपने पति को छलनी में देख कर व्रत खोलती महिला की तस्वीर बनती है, पर क्या आप जानते हैं कि कहां और क्यों इस व्रत की शुरुआत हुई. इस साल 24 अक्टूबर को पड़ने वाले करवा चौथ को लेकर नवविवाहित स्त्रियां काफी उत्साहित रहती हैं. इस व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. कई दिनों पहले से महिलाएं इसकी तैयारी करने लगती हैं. आइए हम बताते हैं इससे जुड़ी कहानियां.

करवा चौथ से जुड़ी कहानी

कहा जाता है कि शाक प्रस्थपुर के वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत किया था. इस व्रत में चंद्रोदय के बाद भोजन किया जाता है, लेकिन उससे भूख बर्दाश्त नहीं हुई और वह भूख से व्याकुल हो गई. वह अपने भाइयों की लाड़ली थी. उसे भूख से व्याकुल देख उसके भाई ने पीपल की आड़ में दीप जला दिया, जिससे यह प्रतीत होने लगा कि चंद्रमा निकल आया है. यह दिखा वीरवती को सभी ने कहा चंद्रोदय हो गया और वीरवती ने भोजन कर लिया.

भोजन का निवाला डालने के साथ ही उसके पति की मौत हो गई. तब उसकी भाभी ने उसे सच्चाई बताई. बाद में इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी ने वीरवती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा. तब वीरवती ने पूरी श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरवती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया.

यमराज से मांगा पति के दीर्घायु होने का वरदान

करवा चौथ को लेकर एक और कहानी प्रचलित है. करवा नाम की धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे गांव में रहती थी. एक दिन वह नदी किनारे कपड़े धो रही था. तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आ गया. मगरमच्छ धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर पानी में अंदर जाने लगा. घोबी घबरा गया और करवा, करवा पुराकने लगा. पति की पुकार सुनकर करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था. उसी समय करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और उसे लेकर यमराज के पास पहुंची.

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करवा ने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई. इस बात पर यमराज ने कहा कि उसके पति की आयु पूरी हो चुकी है और मगरमच्छ की शेष है. तब करवा ने कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करते, तो मैं आपको श्राप दूंगी. करवा की हिम्मत देख यमराज मगरमच्छ को अपने साथ ले गए और उसके पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया.

रोग-कष्ट दूर करते हैं चंद्र देव

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है. चंद्रमा अपनी हिम किरणों से समस्त वनस्पतियों में दिव्य गुणों का प्रवाह करते हैं. समस्त वनस्पतियां अपने तत्वों के आधार पर औषधीय गुणों से युक्त हो जाती हैं, जिससे रोग-कष्ट दूर हो जाते हैं. अर्घ्य देते समय पति-पत्नी को भी चन्द्रमा की शुभ किरणों का औषधीय गुण प्राप्त होता है और दोनों के बीच प्रेम एवं समर्पण बना रहता है. ऐसी भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को अर्जुन की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखने के लिए कहा था.

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