भोपाल। मध्य प्रदेश में जब से कमलनाथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से उन्होंने कार्यकर्ताओं के पदों का पिटारा खोल दिया है. पूरे प्रदेश में सक्रिय और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पद देने के लिए यह कवायद की गई है. इन दिनों विधानसभा उपचुनाव की कशमकश के चलते सरकार गिरने के बाद कमलनाथ लगातार कार्यकर्ताओं को बड़े-बड़े पद देकर खुश कर रहे हैं. खास तौर पर प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, प्रदेश सचिव, प्रवक्ता, कार्यकारी जिला अध्यक्ष जैसे पद भारी संख्या में बांटे जा रहे हैं. स्थिति यह है कि इन पदों की संख्या का अंदाजा अब कांग्रेस को भी नहीं रहा है. वहीं दूसरी तरफ से जिला संगठनों को भी उन्होंने इसी फार्मूले पर काम करने के लिए कहा है.
दरअसल, कमलनाथ कई बार अनौपचारिक चर्चा में यह बात कहती रही हैं कि, अगर कुछ दिन और मध्य प्रदेश के संगठन पर गौर नहीं किया जाता, तो कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह हो गई होती. 1 मई 2018 को कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. उनके अध्यक्ष बनने के साथ-साथ मध्य प्रदेश में चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों की भी ताजपोशी की गई थी, जिनमें बाला बच्चन, जीतू पटवारी, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी के नाम थे.
2018 विधानसभा की तैयारियों के मद्देनजर कमलनाथ ने भारी संख्या में पदों का वितरण शुरू कर दिया था. सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के तमाम विभाग, मोर्चा और प्रकोष्ठों की बैठक ली. उसके बाद उन्होंने सभी जिला इकाइयों की बैठक लेकर निर्देश दिए कि, अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा पद बांटो, ताकि वह सक्रिय हो और उत्साह के साथ पार्टी के लिए काम कर सकें. इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की 60 जिला इकाइयों में 4-4 कार्यकारी जिला अध्यक्ष प्रदेश संगठन की तर्ज पर बनाए गए. इसके अलावा प्रभावशाली और वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय करने के लिए कमलनाथ ने उन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव जैसे पद पर बिठाया. इसके अलावा उन्होंने भारी संख्या में प्रवक्ताओं की भी नियुक्ति की.