भोपाल | प्रदेश में करीब 2 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवाहन पर बहुत बड़े स्तर पर पौधारोपण का आयोजन किया गया था . वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए हुए इस आयोजन के बाद इस पौधारोपण को लेकर कई तरह की शिकायतें मिली है. सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि कांग्रेस लगातार विपक्ष पर अभी भी इस मामले को लेकर निशाना साध रही है . साथ ही सरकार के मंत्री भी कई बार इस मामले की जांच करवाने की बात कह चुके हैं . अब इस मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ( EOW) जांच करेगा या नहीं , इसका फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ करेंगे .
EOW की जांच पर अंतिम फैसला वन मंत्री उमंग सिंगार की नोटशीट के साथ विभाग पौधारोपण से जुड़े सभी तथ्यों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज रहा है . मामले में वन मंत्री सिंगार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार सहित जिम्मेदार वन अफसरों के खिलाफ जांच की अनुशंसा की है . मंत्री ने यह प्रकरण EOW को भेजने के निर्देश दिए थे .बताया जा रहा है कि दीपावली के बाद मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता मैं वन विभाग की बैठक होगी इसमें वन विभाग चार मंत्रियों की समिति की बैठक को आधार बनाकर अपना पक्ष रख सकता है . मुख्यमंत्री को भेजी जा रही फाइल में यह बताया जा सकता है कि विभाग ने महज सवा तीन करोड़ पौधे लगाए हैं और प्रदेश में गड़बड़ी खासकर उन जगहों पर सामने आई है जहां उद्यानिकी , पंचायत और ग्रामीण विकास सहित अन्य विभागों ने पौधारोपण किया है. बता दें कि 2 जुलाई 2017 को प्रदेश में एक साथ 7 करोड़ पौधे रोपे गए थे . इसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई थी . कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले में विधानसभा में भी सवाल उठाया था और अपने वचन पत्र में भी यह वादा किया था कि मामले में जांच करवाएंगे . वन विभाग के मंत्री बनने के बाद उमंग सिंगार ने तीन बार अलग-अलग स्तर से मामले की जांच करवाई है .हाल ही में वन मंत्री ने पौधारोपण में 450 करोड़ रुपए का घोटाला होने की बात कहते हुए मामला EOW को सौंपने की अनुशंसा की थी . मामले में वन विभाग के अफसर पौधारोपण में गड़बड़ी की जिम्मेदारी विभाग पर लेने को तैयार नहीं है . अब मुख्यमंत्री ही फैसला लेंगे कि इस मामले की जांच कराई जानी है या नहीं . यदि जांच कराई जानी है तो किस संस्था से यह जांच कराई जाएगी.