भोपाल। कालाष्टमी (Kalashtami July 2021) भगवान शिव के विग्रह रूप भैरव देव (Bhairav Dev) की उपासना का पर्व है. इस दिन भगवान भैरव देव (Bhairav Dev) की पूजा विधि-विधान से की जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और आषाढ़ मास का कालाष्टमी व्रत 1 जुलाई को है. भैरव देव, भगवान शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं. भैरव देव अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं. इस व्रत से किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है. साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं.
कौन हैं भैरव देव?(Who is Bhairav Dev)
भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला. ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा है, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं. इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है. कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं.
दंडपाणि काल भैरव(Kal Bhairav)
कहा जाता है कि भगवान भैरव जी से काल भी भयभीत रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव एवं हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है.
जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति(Get Rid Of Sins)