भोपाल।बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री कोई भी रहा हो, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय एक समानान्तर पॉवर सेंटर की तरह मौजूद रहे हैं. अब जबकि सीएम की दौड़ में होते हुए राष्ट्रीय महासचिव जैसे ओहदे पर पहुंचने के बाद कैलाश विजयवर्गीय क्या केवल मोहन कैबिनेट के मंत्री बन के रह पाएंगे. याद कीजिए कैलाश विजयवर्गीय का वो बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे किसी बड़ी जिम्मेदारी के लिए भेजा गया है.
क्या कैलाश बनेंगे नया पॉवर सेंटर:मंत्रिमण्डल के गठन के पहले तक कहा जा रहा था कि राष्ट्रीय महामंत्री के ओहदे पर पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय क्या एमपी की कैबिनेट में मंत्री पद स्वीकार कर लेंगे, हालांकि इसमें भी लंबा मंथन चला और आखिरकार कैलाश विजयवर्गीय ने पद स्वीकार भी कर लिया, लेकिन जितना उनका राजनीतिक तजुर्बा है. क्या वे मोहन कैबिनेट में केवल सहयोगी के तौर पर रह पाएंगे, या जैसे शिवराज कैबिनेट में नरोत्तम मिश्रा एक पॉवर सेंटर बने हुए थे. वही बानगी अब कैलाश विजयवर्गीय के साथ दिखाई देगी.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं, 'ये बिल्कुल सही है कि कैलाश विजयवर्गीय का राजनीति का सुदीर्घ अनुभव है. मुझे लगता है कि विभागों के बंटवारे में इस बात का पूरा ध्यान रखा ही जाएगा. दूसरा इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि कैलाश विजयवर्गीय बेबाक राजनेता हैं. जो महसूस होता है, उसे बेहिचक बोल देना उनकी पुरानी आदत है. याद कीजिए अकेले राजनेता थे, जिन्होंने अपनी ही सरकार में अपनी हालात की बयानी खुद को शोले का ठाकुर बताकर कर दी थी. अब ये वेट एण्ड वॉच का मामला है कि कैलाश विजयवर्गीय अपनी सियासत में फर्क लाते हैं या उसी तेवर में दिखाई देते हैं.