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एमपी की बदली सियासत ने 'राजा-महाराजा' के हाथ में फिर पकड़ाया 'कटार' - गुना में किलेबंदी

सूबे की बदली सियासत ने राजा-महाराजा के बीच दुश्मनी की खाई को और गहरी कर दी है, अब हालात ये हैं कि एक बार फिर सियासत ने राजा-महाराजा के हाथों में कटार पकड़ा दिया है, जिसे लेकर दोनों एक दूसरे के पीछे दौड़ रहे हैं.

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Published : Nov 21, 2020, 1:22 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 3:51 PM IST

भोपाल। सूबे की सियासत में राजा-महाराजा के नाम से मशहूर नेताओं के बीच बढ़ती अदावत इन दिनों सुर्खियों में है. सियासत के राजा दिग्विजय सिंह और महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया की ग्वालियर-चंबल इलाके में जितनी मजबूत पकड़ है, अदावत की जड़ें भी उतनी ही पुरानी और गहरी हैं. ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया और राघौगढ़ रियासत के राजा दिग्विजय सिंह के बीच हमेशा ही तलवारें खिंची रहती हैं, जिसे अब दोनों एक दूसरे के खिलाफ खुले मैदान में भांज रहे हैं, क्योंकि कुछ समय पहले तक दोनों एक ही पार्टी में थे, जिसके चलते खुलकर वार-प्रहार करने का मौका नहीं मिलता था, पर अब दोनों अलग अलग विचारधारा वाली पार्टियों में हैं, इसी का फायदा उठाते हुए पुश्तैनी अदावत ने दोनों के हाथों में फिर से कटार पकड़ा दिया है.

ये अदावत पुरानी है

दोनों परिवारों में शुरू से राजनीतिक प्रतिद्वंदिता देखने को मिली है, एक ही पार्टी में रहने के बावजूद दोनों की प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं थी, अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं, और उप चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है, तो महाराजा सिंधिया राजा दिग्विजय सिंह के समर्थकों को तोड़कर उन्हें उनके ही गढ़ में कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं दिग्विजय समर्थकों पर कार्रवाई किये जाने के भी आरोप लग रहे हैं. मामला इतना ज्यादा बढ़ गया है कि हाल ही में संपन्न हुए उपचुनाव में बमोरी से चुनाव जीते सिंधिया के करीबी महेंद्र सिंह सिसोदिया ने विजय जुलूस राघौगढ़ में निकाला और अपने संबोधन में अप्रत्यक्ष रूप से दिग्विजय सिंह और उनके समर्थकों को चुनौती दी.

सदियों पुरानी राजा-महाराजा की अदावत

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर चंबल इलाके में सिंधिया को कमजोर करने और उनके समर्थकों को हराने के लिए मशक्कत की, उसके बाद सदियों पुरानी पारिवारिक अदावत और ज्यादा बढ़ गई. इसके पीछे एक और वजह मानी जा रही है, कि गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से पिछला लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया हार गए थे. राघौगढ़ गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. ऐसी स्थिति में दिग्विजय सिंह को कमजोर करने और अपने आप को मजबूत करने के लिए सिंधिया सरकार की मदद से हर संभव प्रयास कर रहे हैं, ऐसे आरोप दिग्विजय सिंह की ओर से लगाए जा रहे हैं.

कंप्यूटर बाबा पर की गई कार्रवाई इसी का हिस्सा

कभी कंप्यूटर बाबा बीजेपी की आंखों का तारा हुआ करते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कंप्यूटर बाबा ने पाला बदला, फिर बीजेपी के खिलाफ अवैध खनन और नर्मदा पौधरोपण घोटाले को लेकर मोर्चा खोला और पूरे प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ प्रचार किया, बदले में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें मंत्री का दर्जा मिला, इसके बाद सिंधिया की बगावत से गिरी कांग्रेस की सरकार के बाद हुए उपचुनाव से पहले कंप्यूटर बाबा ने ग्वालियर-चंबल और उपचुनाव वाले क्षेत्रों में लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाली, जिसमें सिंधिया-शिवराज पर जमकर भड़ास निकाली. जिसका नतीजा ये हुआ कि चुनाव परिणाम भी नहीं आए और कंप्यूटर बाबा पर एक के बाद एक मामले दर्ज होने लगे, उन्हें बमुश्किल जमानत मिल पाई. जमानत मिलने के बाद बाबा भी पूरी तरह खामोश हैं.

ग्वालियर कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक सिंह पर कार्रवाई

कंप्यूटर बाबा के बाद ग्वालियर कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक सिंह पर भी बीजेपी और सिंधिया की निगाहें टेढ़ी हो गई. दिग्विजय सिंह के करीबी अशोक सिंह की जमीनों पर प्रशासन ने कई तरह की कार्रवाई की है. उनके खिलाफ कई तरह के प्रकरण भी दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा ग्वालियर चंबल इलाके में दिग्विजय सिंह के खास नेताओं को किसी न किसी तरीके से निशाना बनाया जा रहा है.

गुना में दिग्विजय समर्थकों को तोड़ने की कोशिश

सिंधिया खेमा लगातार दिग्विजय खेमे को कमजोर करने में लगा है. इसके लिए साम-दाम दंड भेद सभी तरह की नीति अपनाई जा रही है. बुधवार को दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह के चुनाव क्षेत्र चाचौड़ा से विधायक प्रतिनिधि और गुर्जर महासभा के गुना के जिला अध्यक्ष सीताराम गुर्जर एवं राघौगढ़ ब्लॉक के जनपद सदस्य रामबाबू गुर्जर ने दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष बीजेपी की सदस्यता ली.

बमोरी से जीते महेंद्र सिंह सिसोदिया का राघौगढ़ में विजय जुलूस

सिंधिया के करीबी शिवराज सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया चुनाव गुना के बमोरी विधानसभा क्षेत्र से जीते, लेकिन विजय जुलूस राघौगढ़ में निकाला. इसका उन्होंने उपचुनाव के दौरान ही ऐलान किया था. दिग्विजय के गढ़ में शक्ति प्रदर्शन के बाद उन्होंने बड़ी सभा को संबोधित भी किया और अप्रत्यक्ष रूप से दिग्विजय सिंह के समर्थकों और प्रशासन को चुनौती दी कि इस इलाके में बीजेपी की सरकार के हिसाब से काम काज होंगे. उन्होंने बाकायदा राघौगढ़ नगर पालिका में जाकर अधिकारियों की बैठक भी ली.

सदन से सड़क तक बीजेपी से करेंगे मुकाबला

पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा कहते हैं कि बीजेपी की मानसिकता है कि कांग्रेस के जो लोग उसके खिलाफ प्रचार-काम किए हैं, उन्हें प्रताड़ित करें. कंप्यूटर बाबा, आरिफ मसूद, अशोक सिंह जैसे कई नाम हैं, जो बीजेपी का सितम सह रहे हैं, लेकिन कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता इनसे डरने वाले नहीं हैं, इनका मुकाबला करेंगे. शासन- प्रशासन पूरी तरह से फेल है, ये घोषणा वीर सरकार है, जमीन पर कोई काम नहीं करती है. ये कब तक और कितना प्रताड़ित करेंगे. रबर को जितना खींचोगे, एक स्थिति ऐसी आएगी कि वह टूट जाएगी. कांग्रेस सड़क से सदन तक इनका मुकाबला करेगी.

कमलनाथ सरकार में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लादे गए फर्जी केस

प्रदेश के खनिज एवं श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो यही कांग्रेस के लोग बीजेपी वालों पर अत्याचार कर रहे थे, तब कहां थे. उस समय क्यों प्रकरण बन रहे थे. इनके तो मकान गिराए गए हैं, कई लोग आज भी परेशान हैं. ये इनकी पद्धति है, इसीलिए ये उसी हिसाब की सोच रखते हैं. आज कोई अवैधानिक काम होता है तो उसे उस भावना से देखा जा रहा है. पर जो गलत है सो गलत है, चाहे वो कोई हो.

इस वजह से राघौगढ़ में बढ़ रही अदावत

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी कहते हैं कि सिंधिया परिवार और राघौगढ़ परिवार के बीच ये परंपरागत रूप से प्रतिद्वंदिता रही है, ये सभी जानते हैं. राजनीति में काफी हद तक काफी सालों तक रही है. जिसकी परिणति हमने देखा कि किस तरह सिंधिया ने पूरी सरकार गिरा दी. अब कांग्रेस और दिग्विजय सिंह सरकार से बाहर हैं, इसलिए सिंधिया खेमा पूरी कोशिश कर रहा है कि कांग्रेस के भीतर दिग्विजय सिंह खेमे को जितना कमजोर कर सके, उतना अच्छा होगा. इसके पीछे गुना संसदीय क्षेत्र की राजनीति ज्यादा जिम्मेदार है, क्योंकि राघौगढ़ गुना संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हैं. वहीं से सिंधिया पिछला चुनाव हारे हैं, ज्यादा पुरानी बात नहीं है. इसलिए सिंधिया वहां अपने आप को केंद्रित कर रहे हैं. इसी वजह से उन्होंने अपने सिपाहसालार महेंद्र सिंह सिसोदिया को आगे किया है. ये तो राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है, जो निरंतर चलती रहेगी.

Last Updated : Nov 21, 2020, 3:51 PM IST

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