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नौकरी नहीं मिलने पर पत्रकारिता की छात्राओं ने खोला फूड स्टॉल

पत्रकारिता की डिग्री लेने के बाद दो लड़कियों ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है. जब इन दोनों लड़कियों को नौकरी नहीं मिली तो इन्होंने खुद का फूड स्टॉल लगा लिया.

Girl students opened food stall
छात्राओं ने खोला फूड स्टॉल

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Published : Mar 8, 2021, 12:08 AM IST

भोपाल।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को उन महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय काम किये हो. आज महिला दिवस पर ऐसी महिलाओं की सराहनीय कहानी हम आपको बताएंगे, जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत के तहत खुद का स्टार्टअप शुरू किया. जमशेदपुर की खुशबू और दिलजीत ने 2020 में यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की डिग्री ली और नौकरी नहीं मिलने पर खुद का स्टार्टअप शुरू किया. खुशबू और दिलजीत का कहना है कि यह किसी भी नौकरी से बेहतर है. हम किसी पर निर्भर नहीं हैं.

पत्रकारिता की छात्राओं ने खोला फूड स्टॉल
  • खुशबू और दिलजीत की दिलखुश दुकान की कहानी

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविधालय से मास्टर्स डिग्री लेने के बाद जब कॉलेज में कैम्पस प्लेसमेंट नहीं आये, तो खुशबू और दिलजीत ने खुद का स्टार्टअप शुरू करने की प्लानिंग की और गौतमनगर इलाके में फूड स्टॉल लगा लिया. दिलजीत बताती है कि उन्होंने 2020 में माखनलाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मास्टर्स किया, कभी सोचा नहीं था कि पढ़ाई के बाद ठेले पर स्टॉल लगाएंगे, लेकिन कोरोना काल मे जब कॉलेज में प्लेसमेंट नहीं मिला और मार्केट में नौकरी नहीं मिली, तो बिना समय व्यर्थ किये अपना काम शुरू कर दिया. गौतमनगर इलाके में एक छोटी सी दुकान खोली जिसमें, मैगी, पराठा, फ्रेंच फ्राइज, पास्ता, चाय कॉफी की स्टॉल लगा ली. आज इस स्टाल को दो माह हो चुके हैं और पब्लिक का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा. उनका कहना है कि यह किसी भी जॉब से बेहतर है.

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  • इसलिए शुरू किया स्टार्टअप

खुशबू शर्मा माखनलाल यूनिवर्सिटी से फिल्म प्रोडक्शन की छात्र हैं. खुशबू जमशेदपुर की रहने वाली हैं. खुशबू फूड स्टाल के साथ फ्रीलांस कॉपी एडिटिंग का काम भी करती हैं. साथ ही शाम को अपने फूड स्टॉल पर काम करती है. खुशबू ने बताया कोरोना काल ने बहुत कुछ सिखाया, उस दौर में लोगों की नोकरियां चली गई, किसी भी सेक्टर में जॉब नहीं बची. हम लोगों ने कॉलेज कंप्लीट करने के बाद नौकरी के लिए बहुत कोशिश की. इसलिए यह काम शुरू किया.

  • ठेले पर दुकान लगाने में कोई शर्म नहीं

वहीं दिलजीत कौर बताती हैं कि जब उन्होंने अपने इस स्टार्टअप के बारे में घर पर बताया, तो उनके पिता जी ने इसपर आपत्ति जताई कि इतनी पढ़ाई करने के बाद एक ठेला खोलने की क्या जरूरत है, लेकिन पापा को कन्वेंस किया, बहुत समझाने के बाद पापा ने हामी भरी और फिर ये काम शुरू किया. अभी बहुत ज्यादा प्रॉफिट नहीं है, लेकिन घर वाले खुश हैं कि हम अपना काम कर रहे हैं.

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