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यूरिया संकट: जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह को लिखा पत्र, कहा घड़ियाली आंसू न बहायें शिवराज

पटवारी ने केंद्र सरकार पर मांग के हिसाब से मध्य प्रदेश को यूरिया मुहैया नहीं कराने का आरोप लगाया और खाद की किल्ल्त के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया. जीतू पटवारी ने अपने पत्र में शिवराज सिंह से कहा है यूरिया संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार दोषी है, ना कि कमलनाथ सरकार.

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जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह को लिखा पत्र

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Published : Dec 8, 2019, 4:57 AM IST

भोपाल। प्रदेश में यूरिया खाद को लेकर सियासत चरम पर है. शुक्रवार को जहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यूरिया संकट को लेकर सागर में प्रदर्शन कर गिरफ्तारी दी और सीएम कमलनाथ को आड़े हाथों लिया तो, पलटवार करते हुए कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी ने जहां शिवराज सिंह को पत्र लिखकर सियासत पर सवाल खड़े किए. वहीं उन्होंने यह बताया कि यूरिया के मामले में केंद्र सरकार से कब क्या मांग की गई.

यूरिया संकट पर जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह को लिखा पत्र

पटवारी ने केंद्र सरकार पर मांग के हिसाब से मध्य प्रदेश को यूरिया मुहैया नहीं कराने का आरोप लगाया और खाद की किल्ल्त के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया. जीतू पटवारी ने अपने पत्र में शिवराज सिंह से कहा है यूरिया संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार दोषी है, ना कि कमलनाथ सरकार. साथ ही शिवराज सिंह को नसीहत दी है कि वे इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री से बात करते, बजाय इसके कि वह यहां पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.


मंत्री जीतू पटवारी ने प्रदेश की जनता और किसानों से जुड़े हुए कुछ सवाल अपने पत्र में शिवराज सिंह से पूछे हैं.

  1. क्या यह सही नहीं है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही आपने प्रदेश के किसानों के साथ छल करते हुए रबी सीजन 2018-19 में दिसंबर माह के लिए 3 लाख 70 हजार मीट्रिक टन यूरिया के केंद्रीय आवंटन को कम कराया और मात्र एक लाख 65 हजार मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की गई. तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 3 दिन दिल्ली में रुककर यूरिया की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित कराई.
  2. क्या यह सही नहीं है कि, किसानों की आजीविका के साथ आपने और केंद्र सरकार ने कुठाराघात किया. रबी सीजन 2019-20 में राज्य सरकार द्वारा केंद्र से 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग के एवज में केंद्र ने 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन ही स्वीकृत किया. अक्टूबर माह में स्वीकृति के अनुसार चार लाख 25 हजार मीट्रिक टन के एवज में मात्र 2 लाख 98 हजार मीट्रिक टन यूरिया मुहैया कराया गया. नवंबर माह में 4 लाख 50 हजार मीट्रिक टन की स्वीकृति की तुलना में चार लाख मीट्रिक टन दिया गया. वर्तमान दिसंबर माह की 4 लाख 25 हजार मीट्रिक टन की स्वीकृति में अब तक जो रेक पहुंच चुकी हैं और रास्ते में हैं कुल मिलाकर 50,000 मीट्रिक टन दिया गया.
  3. शिवराज जी क्या आपने प्रदेश में जब अतिवृष्टि और बाढ़ से आम आदमी पीड़ित था, तब भी प्रदेश के नागरिकों और किसानों के साथ धोखा नहीं किया. केंद्र से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 6621. 28 करोड़ रूपये की राहत राशि की मांग की थी. मगर केंद्र ने लंबे अंतराल के बाद मात्र 1000 करोड़ रुपए ही दिए. प्रदेश के नागरिकों के साथ किए गए छल में क्या आप शामिल नहीं थे?
  4. क्या केंद्र सरकार से आपने फसल बीमा योजना का खरीफ 2019 का केंद्र अंश नहीं रुकवाया ? प्रदेश सरकार ने राज्य का हिस्सा 509.60 करोड रुपए खरीफ 2019 का देने के बावजूद केंद्र ने यह कहा कि, पूर्व की सरकार ने चूंकि पुराना 23 सौ करोड़ रुपए जमा नहीं कराए हैं, इसलिए इस बार केंद्रांश नहीं दे सकते हैं. क्या आपने आपकी सरकार के रहते भी किसानों के साथ फसल बीमा पर धोखा नहीं किया?
  5. क्या यह सही नहीं हैं कि खरीफ 2017 के भावांतर के 576 करोड़ रुपए, खरीफ 2018 के 321 करोड़ रुपए और अतिरिक्त 6 लाख मीट्रिक टन के 120 करोड़ रुपए अर्थात कुल 1017 करोड़ रुपए केंद्र से अब तक रुकवा रखे हैं?
  6. क्या यह सही नहीं है कि वर्ष 2018-19 में केंद्र प्रायोजित योजना का 6547 करोड़ रूपए आप ने केंद्र से नहीं रुकवाया?
  7. क्या यह सही नहीं है कि केंद्रीय करों के हिस्से के 2677 करोड़ रुपए वर्ष 2018 19 के आपने नहीं रुकवाए ?
  8. क्या यह सही नहीं है कि आप ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर यह पत्र जारी कराया कि समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में राज्य सरकार ने 73.7 लाख मीट्रिक टन की थी. क्योंकि कमलनाथ सरकार किसानों को गेहूं पर 160 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दे रही है, इसलिए अतिरिक्त 6.45 लाख मीट्रिक टन गेहूं की राशि राज्य सरकार को नहीं दी जाएगी?


मंत्री जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह को लिखे पत्र के साथ कहा कि इस साल बरसात की अधिकता रही और सरकार समय पर जागी और पिछले साल जो यूरिया का 15 लाख मीट्रिक टन का आवंटन किया गया था. उससे 3 लाख मीट्रिक टन ज्यादा 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग केंद्र सरकार से की गई. केंद्र सरकार ने सितंबर माह में सर्कुलर जारी कर सभी राज्यों से मांग पत्र मांगा. सारे राज्यों ने लगभग एक हफ्ते के अंदर मांग पत्र भेजा. यूरिया राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. सभी उत्पादन इकाइयां केंद्र सरकार के अधीन हैं तो अगर यूरिया का संकट है, तो दोषी नरेंद्र मोदी हैं या कमलनाथ, जरा शिवराज सिंह यह बताएं ?

पत्र की कॉपी


पटवारी ने आगे कहा कि शिवराज सिंह आपको प्रदेश की जनता को बताना पड़ेगा कि अक्टूबर माह में भारत सरकार से 4 लाख 25 हजार मीट्रिक टन यूरिया मांगा. उसके बदले 2 लाख 95 हजार मीट्रिक टन कम दिया गया. मांग के अनुरूप 1 लाख 30 हजार मीट्रिक टन कम दिया गया, ऐसा क्यों? इसके लिए आपने क्यों प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री से बात क्यों नहीं की, कोई एक पत्र भी आपने उन लोगों के लिए नहीं लिखा. कांग्रेस ने भाजपा के 28 सांसदों के घर जाकर कहा कि राजनीति करने की वजह नरेंद्र मोदी से कहें कि हमारे हक का, मध्य प्रदेश के हक का यूरिया दो. तो तब क्यों आपको सांप सूंघ गया, आप तब क्यों नहीं जागे शिवराज सिंह चौहान?


जीतू पटवारी ने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि दिसंबर माह में 4 लाख 36 हजार मीट्रिक टन यूरिया की मांग थी. 7 दिसंबर तक 1 लाख 52000 मीट्रिक टन यूरिया मिला. 1 लाख 1 हजार मीट्रिक टन फिर भी कम था. यह केंद्र सरकार का दोष है या फिर राज्य सरकार का ? हमने मांग की, आपने कहा कि इस महीने में हम इतना देंगे, लेकिन नहीं दिया. इसके लिए दोषी कौन ? ज्यादा लंबी बात ना करते हुए इतना कहना चाहता हूं कि यूरिया को लेकर घड़ियाली आंसू ना बहाएं.

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