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कोटा में फंसा है रतलाम का मजदूर परिवार, भूखे मरने की नौबत

मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले का एक परिवार कोटो जिले के अयाना थाना क्षेत्र के डोरली गांव के पास फंस गया है. मजदूरी करने गया ये परिवार लॉकडाउन लागू होने के बाद वापस नहीं लौट पाया. ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर परिवार का दर्द जाना. इस परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है. पढ़िए पूरी खबर...

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रतलाम

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Published : May 8, 2020, 8:22 PM IST

कोटो/भोपाल। कोटा जिले के अयाना थाना क्षेत्र के डोरली गांव के पास नहर किनारे पत्तों की झोपड़ी बनाकर रह रहे मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले का ये परिवार दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है. लॉकडाउन के चलते इनके सामने खाने पीने के साथ रहने का भी संकट आया हुआ है. ये परिवार बार बार प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि इन्हें इनके गांव पहुंचा दिया जाए, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

खाने पीने के साथ रहने का भी संकट

इस परिवार में एक महिला गर्भवती भी है, जिसके कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है, लेकिन इस प्रवासी परिवार की और किसी का ध्यान नही है. इस परिवार के बीच पहुंचकर ईटीवी भारत ने इनकी पीड़ा जानी. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से मजदूरी के लिए आया ये परिवार लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह से यहां फंसा हुआ है.

ऐसे में ये लोग अब नहर किनारे लकड़ी व पत्तों की झोपड़ी बना कर खुले आसमान के तले अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं. डोरली गांव के समीप नाले के निर्माण के लिए झाबुआ मध्यप्रदेश से छह सदस्य परिवार यहां मजदूरी के लिए आए थे. इसी दौरान कोरोना महामारी के चलते लोकडाउन होने से यह लोग वापस नहीं लोट सके. निर्माण कार्य चला जब तक तो इन्हें कोई परेशानी नहीं हुई, निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ठेकेदार ने इनकी मजदूरी का भुगतान कर पल्ला झाड़ लिया और लॉकडाउन के चलते परिवार घर नहीं लौट सका.

जिला प्रशासन नहीं कर रहा मदद

भूखे मरने की नौबत

इसके बाद कार्यस्थल पर ही पेड की टहनियों की टापरी बना कर समय काटने को मजबूर हो गये. इन लोगों ने बताया की गेहूं की कटाई के समय खेतों में से गेहूं की बालियां बीनकर खाने के लिए अनाज की वयवस्था कि थी, लेकिन समय निकलने के साथ ही अब तो इन लोगों के सामने भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई है.

अयाना थाना क्षेत्र में फंसा है परिवार

अयाना थाना क्षेत्र में फंसा है परिवार

अयाना थाना क्षेत्र के बिनायका ग्राम पंचायत के डोरली गांव के समीप फंसे इस मजदूर परिवार के मुखिया राजेन्द्र ने बताया कि उनके साथ तीन बेटे पत्नी, बहू और सात साल की एक छोटी बच्ची है. बहू गर्भवति है, जिसे कभी भी प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है. जैसे तेसे करके उन्होंने तपती गर्मी में तो समय काट लिया लेकिन अब आये दिन मोसम खराब होने व बरसात के बाद भी यह लोग खुले आसमान के तले रहने को मजबूर हैं.

जिला प्रशासन नहीं कर रहा मदद

परिवार के लोगों ने बताया कि कोरोना से गांव के लोग डरे हुए हैं. ऐसे मे वह गांव की ओर भी नहीं जा पाते. इन लोगों की समस्या को देखते हुए डोरली गांव के कुछ लोगों ने बिनायका ग्राम पचायत सरपंच को भी अवगत करवाया है, जहां से अभी इनको राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है. वहीं ये अनपढ़ परिवार प्रशासन से घर वापसी की गुहार लगा रहा है, लेकिन प्रशासन है कि टालमटोल करता नजर आ रहा है.

पूरी रात खुली आंखों में काटी

पिछले दो दिन से क्षेत्र मे बिगड रहे मौसम ने भी इन लोगों की चिंता बढा दी है. खुले आसमान तले रहने को मजबूर इस मजदूर परिवार ने रविवार को पूरी रात जागकर काटी साथ ही पूरा परिवार भूखा ही रहा. उन्होंने बताया कि उनके साथ छोटे बच्चे हैं, जिनकी चिंता लगी रहती है. ऐसे मे मौसम बिगड़ने के साथ ही चिंता बढ़ जाती है.

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