कोटो/भोपाल। कोटा जिले के अयाना थाना क्षेत्र के डोरली गांव के पास नहर किनारे पत्तों की झोपड़ी बनाकर रह रहे मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले का ये परिवार दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है. लॉकडाउन के चलते इनके सामने खाने पीने के साथ रहने का भी संकट आया हुआ है. ये परिवार बार बार प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि इन्हें इनके गांव पहुंचा दिया जाए, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.
इस परिवार में एक महिला गर्भवती भी है, जिसके कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है, लेकिन इस प्रवासी परिवार की और किसी का ध्यान नही है. इस परिवार के बीच पहुंचकर ईटीवी भारत ने इनकी पीड़ा जानी. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से मजदूरी के लिए आया ये परिवार लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह से यहां फंसा हुआ है.
ऐसे में ये लोग अब नहर किनारे लकड़ी व पत्तों की झोपड़ी बना कर खुले आसमान के तले अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं. डोरली गांव के समीप नाले के निर्माण के लिए झाबुआ मध्यप्रदेश से छह सदस्य परिवार यहां मजदूरी के लिए आए थे. इसी दौरान कोरोना महामारी के चलते लोकडाउन होने से यह लोग वापस नहीं लोट सके. निर्माण कार्य चला जब तक तो इन्हें कोई परेशानी नहीं हुई, निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ठेकेदार ने इनकी मजदूरी का भुगतान कर पल्ला झाड़ लिया और लॉकडाउन के चलते परिवार घर नहीं लौट सका.
भूखे मरने की नौबत
इसके बाद कार्यस्थल पर ही पेड की टहनियों की टापरी बना कर समय काटने को मजबूर हो गये. इन लोगों ने बताया की गेहूं की कटाई के समय खेतों में से गेहूं की बालियां बीनकर खाने के लिए अनाज की वयवस्था कि थी, लेकिन समय निकलने के साथ ही अब तो इन लोगों के सामने भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई है.