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Japan Bhopal Connection जापान के चित्रकार योची यामागाटा की ख्वाहिश, ब्लड कैंसर से जीत गया तो फिर लौटूंगा भोपाल - जापान के चित्रकार योची यामागाटा

ब्लड कैंसर से जूझ रहे जापान के चित्रकार योची यामागाटा को अगर जिंदगी कुछ महीनों की मोहलत और दे तो इस चित्रकार की पहली ख्वाहिश है कि भारत की फेरी लगाए और सीधे भोपाल की गलियों में पहुंच जाए. भोपाल की उन तंग बस्तियों में जिनके चेहरों को उन्होने किसी सेलिब्रिटी की तरह अपने कैनवास पर उतारा था. योची ने तलाशा झीलों के पार का वो भोपाल, जिसमें गरीबी के नीचे रहने वाले मुफलिसी में भी मुस्कुराते चेहरे हैं. जो ठहाके लगाते हैं. हर हाल में जीए जाते हैं. Japanese painter Yochi Yamagata, Yochi struggle blood cancer, Yochi aspires return Bhopal, Japan india bhopal love

Japanese painter Yochi Yamagata
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग

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Published : Aug 20, 2022, 6:49 PM IST

भोपाल। साल 2005 में योची जापानी इंटरनेशनल कॉपोर्रेशन एंजेसी की तरफ से प्रोजेक्ट मैनेजर, रिप्रोडेक्टिव हैल्थ की जिम्मेदारी के साथ भोपाल आए थे. योची यामागाटा वो शख्स हैं जिनके दिल में बसता है भोपाल. यही वजह थी कि जब जापान का ये प्रोजेक्ट पूरा हो गया. उसके बाद भी योची भोपाल को नहीं भूल पाए. शेड्यूल ये बनाया कि साल के छह महीने योची भारत में बिताते. दिल की आवाज़ पर भोपाल आते. शहर की तंग गलियों में उन चेहरों को अपने कैनवास पर उतारते अपना दिन बिताते. जिन्हें पलटकर भी नहीं देखता कोई. अच्छी खासी हिंदी बोलने वाले योची बताते हैं भोपाल में जब निकलता था तो पता नहीं होता था कि कहां वो चेहरा मिल जाएगा, विच आई एम लुकिंग फॉर माय स्केच. लेकिन गांव देहात और बस्तियों की मुश्किल जिंदगियों को ही क्यों चुना आपने अपने स्कैच के लिए? योची कहते हैं, क्योंकि इन जिंदगियों में ही रंग हैं, यहीं तहजीब है और यही लोग हैं जो ट्रेडीशन के करीब हैं. यहां हिंदुस्तान अपने पूरे रंग में दिखाई देता हैं.

जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
रुस्तम खां के अहाते में छूट गया दिल :हर बरस बिना नागा भारत यात्रा करने वाले 76 बरस के योची यामागाटा की आखिरी भोपाल विजिट कोरोना के दौर में हुई. ये 2020 का साल था. और इसी दौरान उनके शरीर ने संकेत दे दिए थे कि कैंसर उनके शरीर में जगह बनाने लगा है. योची बताते हैं भोपाल की ढलानों पर भी जब पैदल चलते हुए मेरी सांस भरने लगी तो मुझे महसूस हो गया था कि कुछ ठीक नहीं है. आर बीसी डब्लूबीसी भी कम हो रहे हैं. ये संकेत भी मिलने लगे थे. जब टोक्यो लौटा तो मेरा शक सही साबित हुआ मुझे ब्लड कैंसर का पता चला. और ये भी कि अगर ट्रीटमेंट नहीं लिया तो जिंदगी कुल छै महीने की है. 2020 से 2022 तक आ गया हूं. 14 महीने की कीमोथैरेपी पूरी हो चुकी है. कह नहीं सकता कि कितना वक्त है. भारत लौटना अब नामुमकिन है, लेकिन मेरी यादों में तो उसके हिस्से हमेशा हैं.
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
भोपाल कैनवास पर उतारा : योची के कैनवास पर भोपाल की तंग बस्तियों के चेहरे हैं. जिन्हें वो अपना मॉडल कहते हैं. इन्हें ही क्यों आपने अपना सब्जेक्ट बनाया. योची कहते हैं पहला तो इसलिए कि मुझे नहीं लगता कि वोटर कार्ड के अलावा कभी उनकी कोई फोटो खींचने आता होगा. तो जब मैं उनका स्कैच बनाता था दे फील प्राउड. उन्हें खास होने का अहसास मिल जाता था और मुझे दो कप चाय. बुरा सौदा नहीं था ना. योची बताते हैं हिंदुस्तानी चेहरों को उतारना बेहद मुश्किल है. यहां हिंदू चेहरा अलग, मुस्लिम अलग, जैन अलग, आदिवासी. योची आगे जोड़ते हैं पूरी दुनिया का मिडिल और अपर क्लास एक जैसा ही है. लेकिन लाइफ के डिफरेंट शैड्स आपको लोअर क्लास में ही दिखाई देते हैं, इसीलिए ये क्लास मेरी दोस्त भी बनी और मेरा सब्जेक्ट भी.
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
जापान के चित्रकार योची यामागाटा की पेंटिंग
फैन ने दी अनोखी श्रद्धांजलि! स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 1436 तस्वीरों से बना डाली पेंटिंगजिंदगी मेहरबान हुई तो फिर आऊंगा भोपाल : योची इस वक्त टोक्यों में ब्लड कैंसर का इलाज ले रहे हैं. बताते हैं बीमारी के बाद जिंदगी बदली है बेशक. लेकिन कुदरत से उर्जा लेने अब भी बॉटनिकल गार्डन जाता हूं. ये अच्छा है. लेकिन भोपाल में मुझे लोगों से मुलाकात के साथ जो उर्जा मिलती रही उसका कोई मुकाबला नहीं. भारत को, भोपाल को बहुत मिस करता हूं.

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