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ITSSO रैकिंग में MP के 3 जिले टॉप-10 में शामिल, भोपाल को पछाड़ देवास बना महिला अपराधों की विवेचना में अव्वल - आईटीएसएसओ रैकिंग में एमपी के 3 जिले शामिल

सेंट्रल होम डिपार्टमेंट जिसमें महिला अपराधों की विवेचना की जाती है उसमें देवास को पहला और बैतूल को दूसरा स्थान मिला है. वहीं धार जिले को भी आईसीजेएस रैंकिंग में 8वां स्थान प्राप्त हुआ है.

dewas get first in investigation of women crimes
आईटीएसएसओ रैकिंग में एमपी के 3 जिले शामिल

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Published : Apr 11, 2023, 8:04 AM IST

भोपाल।भारत सरकार का मंत्रालय जिसेसेंट्रल होम डिपार्टमेंट कहते हैं, वो हर महीने अलग-अलग अपराधों की विवेचना की रैंकिंग जारी करता है. मार्च माह में जारी की गई रैंकिंग में मध्य प्रदेश का देवास जिला अव्वल निकला, जिसे यह स्थान महिला अपराधों की समय सीमा में विवेचना करने के मामले में मिला है. वहीं दूसरी तरफ धार जिले को भी आईसीजेएस रैंकिंग में 8वां स्थान प्राप्त हुआ है.

आईटीएसएसओ में देवास जिले को मिला पहला स्थान:भारत सरकार द्वारा लगातार जिलों में दर्ज होने वाली एफआईआर से लेकर चालान प्रस्तुत होने तक की निगरानी की जा रही है, इसमें महिला अपराधों पर विशेष फोकस है. इस कड़ी में यौन अपराधों के लिए जांच ट्रेकिंग प्रणाली (ITSSO) नाम से ऑनलाइन मॉड्यूल बनाया गया है, इसके तहत सबसे तेज विवेचना करने वाले जिलों की हर महीने रैंकिंग जारी की जाती है. मार्च की रिपोर्ट हाल ही में जारी हुई तो उसमें देवास जिले को अव्वल स्थान मिला है.

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आईटीएसएसओ में बैतूल को दूसरा स्थान:इस मामले में देवास जिले के एएसपी मंजीत चावला का कहना है कि "देवास पुलिस महिला अपराधों में लगातार समयबद्ध विवेचना कर रही थी और बीते 1 साल में 8 बार सेकेंड पोजीशन पर जिला रहा, लेकिन इस बार पहले स्थान पर आया है." बता दें कि धार जिले में पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय हैं, वहीं दूसरे स्थान पर बैतूल जिला है. इन दोनों ही जिलों में महिला यौन उत्पीड़न मामले में एफआईआर दर्ज होने से लेकर चालान प्रस्तुत करने में 60 दिन से भी कम समय लगाया गया है, बड़ी बात यह है कि टॉप फाइव में प्रदेश के कमिश्नर सिस्टम वाले जिले भोपाल और इंदौर अपना स्थान नहीं बना पाया है.

टॉप आने के लिए यह किया:यौन उत्पीड़न मामलों में एफआईआर दर्ज होने के बाद तेजी से विवेचना करनी होती है, 60 दिन से पहले कोर्ट में चार्जशीट पेश करनी होती है, जिसकी आईटीएमएसओ पोर्टल नियमित निगरानी की जाती है. यह एक तरह का ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम है, इसमें भादवि की धारा 376 और पॉक्सो 4 एंड 6 को ट्रैक किया जाता है, इसमें एफआईआर डेट वाइज देखी जाती है, जिसमें 21 अप्रैल 2018 के बाद से अब तक का पूरा डेटा उपलब्ध है.

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