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पशुओं को पौष्टिक आहार के रूप में हरा चारा देना जरूरी, नई तकनीक करें विकसितः पशुपालन मंत्री

प्रशासन अकादमी में चारा उत्पादन अनुसंधान एवं संरक्षण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि पशुओं को पौष्टिक आहार के रूप में हरा चारा भी दें.

Workshop on Fodder Production Research and Conservation at the Academy of Administration
प्रशासन अकादमी में चारा उत्पादन अनुसंधान एवं संरक्षण विषय पर कार्यशाला

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Published : Jan 30, 2020, 9:15 AM IST

Updated : Jan 30, 2020, 9:32 AM IST

भोपाल|प्रशासन अकादमी में चारा उत्पादन अनुसंधान एवं संरक्षण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में प्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव और कृषि वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे. इस कार्यशाला के दौरान पशुओं को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार को लेकर चर्चा की गई है. साथ ही सूखा चारा की जगह हरा चारा दिए जाने को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया है, क्योंकि सूखे चारे की अपेक्षा हरे चारे में ज्यादा पौष्टिक आहार होता है.

प्रशासन अकादमी में चारा उत्पादन अनुसंधान एवं संरक्षण विषय पर कार्यशाला

पशुओं को दें हरा चारा
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश के वैज्ञानिकों को चाहिए कि वो पौष्टिक और स्वादिष्ट हरा चारा उत्पादन की नई तकनीक विकसित करें, जिससे पशुओं को सूखे चारे के अलावा हरा चारा दिया जा सके, लेकिन इस समय हरे चारे की उपलब्धता काफी कम है जिसे बढ़ाया जाना बेहद जरूरी है.

पशुओं को पौष्टिक आहार देना है जरूरी
पशुपालन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सूखा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन हरे चारे का उत्पादन आवश्यकता की तुलना में लगभग 45 प्रतिशत कम है. उन्होंने कहा कि अच्छे पौष्टिक उत्पादन के लिए पशुओं को पौष्टिक आहार दिया जाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी उन्नत नस्ल के पशुओं की पैदावार के लिए भी पशुओं को पौष्टिक आहार, हरा चारा दिया जाना भी जरूरी है.

हरे चारे की पैदावार बढ़ाने की योजना पर काम करें
कार्यक्रम में IGFRI झांसी के डायरेक्टर वीके यादव ने कहा कि हरे चारे की पैदावार बढ़ाने के लिए वो कार्य-योजना तैयार कर काम करेंगे. इसके लिए जब भी आवश्यकता हो, वे प्रदेश में नि:शुल्क सेवाएं देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के जिलों की जलवायु, मिट्टी और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर वे चारा फसलों की पैदावार करेंगे, जिससे कम समय में अधिक से अधिक हरा चारा प्राप्त कर सके.

कार्यशाला में IGFRI झांसी के वरिष्ठ संचालक वीके यादव सहित अन्य वैज्ञानिक भी शामिल हुए. वैज्ञानिकों ने प्रदेश के समस्त जिलों के पशु-चिकित्सकों को चारा उत्पादन एवं संरक्षण पर जानकारी उपलब्ध कराई गई. कार्यशाला में विभागीय सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित बिन्दुओं पर भी चर्चा की गई.

Last Updated : Jan 30, 2020, 9:32 AM IST

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