भोपाल। चुनावी समर का आखिरी दौर शुरु हो गया है, इसके लिए सभी राजनीतिक दलों के नेता पूरे दमखम के साथ मैदान में डटे हुए हैं. यूं तो प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव की चुनावी बहस किसान के मुद्दों से शुरू हुई थी, लेकिन चुनावी प्रचार के आखिरी चरण तक आते-आते पूरा चुनाव विवादित बयानों में सिमट गया. आमतौर पर हर चुनावों में किसानों का जिक्र होता है, इसके बाद भी प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी हुई है. हाल ही में केंद्र सरकार की आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के किसान परिवार की औसत आय मनरेगा मजदूर से भी कम है.
मनरेगा मजदूर से कम किसान की आय
अपने पसीने से जमीन को सींच कर अनाज उगाने वाले किसानों की औसतन वार्षिक आय सिर्फ 1 लाख 16 हजार 788 है. केंद्र सरकार की डबलिंग फॉर्मर्स इनकम कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश के किसान औसतन हर माह 9,732 रुपए कमाता है. ऐसे में इसे परिवार के सभी सदस्यों में बांटे तो 4 सदस्य वाले किसान परिवार के हर व्यक्ति की मासिक आए 2433 और प्रति दिन 81 रुपए है, जोकि मनरेगा मजदूर के दैनिक वेतन से लगभग आधी है.
कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी की योजनाएं
किसानों के मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं में सिर्फ जुबानी जंग चल रही है, कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी की योजनाओं को निशाना बनाते हुए कहा कि बीजेपी नेता किसानों के लिए कई चमत्कारिक घोषणाएं बनाने के दावे करते रहे हैं, लेकिन यह सब कहां हैं. किसानों की आय बढ़ाने के लिए वजन वाला नेता चाहिए, किसानों की शक्ति बढ़ाने के लिए योजना बनानी पड़ेगी.
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