भोपाल। इंदौर से कुछ दिन पहले ही एक जख्मी तेंदुए को इलाज के लिए भोपाल लाया गया था. उस दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि जंगल में तेंदुए और बाघ की लड़ाई की वजह से तेंदुआ जख्मी हुआ है, लेकिन इस दौरान भोपाल के पशु चिकित्सालय में इस घायल तेंदुए का सिटी स्कैन करवाया गया था, जिसमें तेंदुए के सिर में लोहे के कुछ धातु फंसे हुए हैं. वहीं जांच करने पर पता चला कि करीब 46 छर्रे शायद किसी शिकारी ने चलाए हैं.
तेंदुए के सिर में फंसे हैं 46 छर्रे
इलाज के बाद तेंदुए को वापस इंदौर रवाना कर दिया गया था, लेकिन उसकी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा है. जिसे देखते हुए उसे एक बार फिर चिड़िया घर से वापस वन विहार नेशनल पार्क शिफ्ट कर दिया है. भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में आने के बाद डॉक्टरों की टीम ने तेंदुए की एक बार फिर से पूरी जांच की है.
पिंजरे से बाहर देखता तेंदुआ ऑपरेशन कर निकाले जाएंगे छर्रे
जांच के दौरान ये बात भी सामने आई है कि उसकी एक आंख पूरी तरह से सफेद हो चुकी है, तो वहीं दूसरी आंख सामान्य दिखाई दे रही है, लेकिन तेंदुए को दोनों ही आंखों से देखना पूरी तरह से बंद हो चुका है. ऐसी स्थिति में अब केवल ऑपरेशन के माध्यम से ही तेंदुए के सिर में फंसे 46 छर्रे को निकाला जा सकता है. जिसे लेकर अभी डॉक्टरों के बीच में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि इस दौरान तेंदुए की जान भी जा सकती है.
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घायल तेंदुए को भोपाल लाने का उद्देश्य भी यही है कि यहां पर उसे बेहतर तरीके से इलाज उपलब्ध हो सके, हालांकि यहां आने के बाद उसने पहले दिन कुछ भी नहीं खाया था, लेकिन अगले दिन उसने कुछ भोजन खाया है. साथ ही पानी भी पिया है. तेंदुआ दिनभर केवल शांत बैठा है. इस दौरान वहां आने जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर उसने नाराजगी भी व्यक्त नहीं की है.
वरिष्ठ वन्य प्राणी विशेषज्ञों से ली जाएगी सलाह
वन्य प्राणी विशेषज्ञ अतुल गुप्ता ने बताया कि तेंदुए के सिर में 46 छर्रे फंसे हुए हैं और उन्हें सुरक्षित रूप से निकालना एक बड़ी चुनौती है. अभी ये तय नहीं हुआ है कि इस दिशा में क्या काम किया जाना है. इसे लेकर अभी विचार विमर्श किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, जल्दबाजी में ऑपरेशन करना खतरनाक साबित हो सकता है. इस दौरान और भी कई वरिष्ठ वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह ली जाएगी. कोशिश है कि तेंदुए के सिर में फंसे हुए सभी 46 छर्रे को सुरक्षित रूप से निकाला जाए, ताकि तेंदुए को किसी प्रकार का नुकसान ना हो, उसके बाद आंखों की रोशनी की जांच भी की जाएगी.
24 घंटे हो रही तेंदुए की निगरानी
डॉक्टरों की टीम लगातार कोशिश कर रही हैं कि तेंदुए की आंखों की रोशनी बचाई जा सके. फिलहाल डॉक्टरों की टीम 24 घंटे तेंदुए की निगरानी कर रही है, साथ ही उसके स्वास्थ्य पर बारीकी से नजर भी रखी जा रही है.