भोपाल। सूचना का अधिकार कानून के तहत 30 दिन में मिलने वाली जानकारी 1163 दिनों में भी नहीं मुहैया कराई गई, जिसके बाद सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ से लेकर चीफ इंजीनियर एसई, ईई सहित सभी जिम्मेदारों की आयोग के सामने एक साथ परेड कराई. हैरान करने वाली बात ये है कि इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने सूचना आयुक्त को ही गलत जानकारी दे दी.
इस मामले में 2016 से लंबित लोक निर्माण विभाग में वेतनमान से संबंधित प्रकरण में सेवानिवृत्त कर्मचारी श्रीनिवास तिवारी ने जब गलत जानकारी के बारे में शिकायत की. तब नाराज सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने तत्काल इस मामले में तत्कालीन और वर्तमान एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के खिलाफ 25-25 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया. पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर-इन-चीफ आरके मेहरा को 25000 रुपए जुर्माने के साथ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.
आयोग के निर्देश के बाद प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग मलय श्रीवास्तव ने अपने विभाग के तमाम लोक सूचना अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे वेतन एवं पेंशन से संबंधित लंबित आरटीआई प्रकरणों का संवेदनशीलता के साथ तत्काल निराकरण करें. हैरानी की बात ये है कि जब रीवा संभाग स्तर पर जानकारी नहीं दी गई तो सूचना आयुक्त ने सीधे प्रदेश के इंजीनियर-इन-चीफ आरके मेहरा की जवाबदेही तय की, बावजूद इसके अपीलकर्ता को गलत जानकारी दी गई. अब आयोग ने ईएनसी मेहरा के खिलाफ प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की जवाबदेही तय की है.
इस मामले में आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है कि सूचना का अधिकार का उपयोग करने वाले अपीलकर्ताओं की अक्सर ये शिकायत रहती है कि उन्हें गलत और भ्रामक जानकारी दी जाती है. ये तब और गंभीर विषय हो जाता है, जब आयोग के समक्ष ही पूरी जानकारी गलत दी जाती हो.
सूचना आयोग ने अपने आदेश में पीडब्ल्यूडी के ईएनसी मेहरा के रवैये पर सख्त आपत्ति भी जताई है. मेहरा ने आयोग की तरफ से अपने आप को डीम्ड पीआईओ के रूप में जवाबदेह बनाने पर सूचना आयुक्त के समक्ष लिखित में आपत्ति दर्ज कराई थी.