भोपाल। इंदौर की घटना के बाद सांसद शंकर लालवानी पर सवाल उठा कि इंदौर में 36 शव यात्राएं जिस समय निकाली जा रही थीं, (Congress Target Shankar Lalwani) उस आपदा के समय सांसद जी को कहां होना चाहिए था. बात सिर्फ सिंधी समाज की नहीं है. बात इतनी नहीं की मरने वालों में सिंधी समाज के लोगों की तादात ज्यादा थी. मुद्दा इंदौर के जनप्रतिनिधि होने का भी है. इंदौर के सबसे बड़े शोक के दिन का भी सवाल है. इस दुख की घड़ी में क्या पालक की तरह पेश नहीं आना था सांसद महोदय को. सांसद शंकर लालवानी को इस समय शवयात्रा में होना था या फूलों से सजे सिंधी समागम के आयोजन में.
इंदौर में शोक और समारोह में बैठे सांसद:असल में ये मामला सिंधी समाज के आयोजन के साथ उठा. शहीद हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत मौजूद थे. लेकिन निगाहें मंच पर दूसरी पंक्ति में बैठे इंदौर के सांसद शंकर लालवानी पर भी गईं. जिस समय इंदौर में एक साथ 36 अर्थियां उठ रही थीं उस समय शंकर लालवानी की मौजूदगी सिंधी समाज के इस समागम में थी. वे फूलो से सजे मंच पर बैठे हुए दिखाई दिए. पूर्व सीएम कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयुष बबेले ने इस पर एतराज़ जताते हुए कहा है कि ''इंदौर में हुई घटना में एक साथ 36 लोगों की मृत्यु हो गई और बीजेपी के इंदौर से सांसद शंकर लालवानी फूलों से सजे मंच पर बैठे रहे. क्या इन्हें इंदौर में नहीं होना चाहिए था''. बबेले ने कहा कि ''बीजेपी को सिंधी समाज से केवल वोट की दरकार है संवेदना की नहीं''.