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किसानों की समस्या का निराकरण जल्द करे सरकार: भारतीय किसान यूनियन

सरकार प्रदेश में गेहूं खरीदी कर रही है, लेकिन खरीदी केंद्रों पर किसानों के साथ लगातार अत्याचार हो रहे हैं, जिसके चलते भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री जल्द इन लोगों पर कार्रवाई करें, नहीं तो किसान यूनियन कड़े कदम उठाएगा.

anil yadav
भारतीय किसान यूनियन ने दी चेतावनी

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Published : Apr 27, 2020, 1:14 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 11:00 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के बावजूद सरकार गेहूं खरीदी शुरू कर दी है, लेकिन किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कम तुलाई, गेहूं की क्वालिटी को कमजोर बताना, ऋण की वसूली करना और किसानों से मारपीट जैसी घटनाएं रोजाना सुनने को मिल रही हैं. भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया यूनियन को कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.

भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि सोसाइटी में किसानों की सहमति के बिना ऋण लिया जा रहा है, जबकि पूर्व की सरकार द्वारा कर्जमाफी की बात की गई थी. जिसके कारण किसान ऋण जमा नहीं कर पाए, जबकि किसान उम्मीद रखते हैं कि मुख्यमंत्री किसान पुत्र हैं, वो हमारी समस्या समझेंगे और कर्ज माफी होगी, लेकिन इसके विपरीत किसानों के साथ उल्टा हो रहा है. इस विषम परिस्थिति में भी किसानों की बिना सहमति के खरीदी केंद्र पर ऋण काटा जा रहा है. कुछ किसान तो ऐसे हैं, जो फसलें बेचकर ऋण काटने के बाद मात्र 600 रूपए घर ले जा रहे हैं. ऐसे में न फसल बो पाएंगे, न अपना घर चला पाएंगे. इस महामारी के दौर में सरकार से उम्मीद थी कि कोई राहत राशि मिलेगी, इसके विपरीत सरकार राहत देने की बजाय उनके घाव पर नमक छिड़क रही है. किसानों के सोयाबीन, भावांतर, गेहूं का बोनस, आलू-प्याज की बकाया राशि के साथ ही मुआवजा राशि देने के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

भारतीय किसान यूनियन ने दी चेतावनी

उन्होंने कहा है कि किसानों के पास कहीं 5 बोरा तो कहीं 10 बोरे के मैसेज आ रहे हैं. किसानों की ट्रॉली 25 क्विंटल की होती है. ऐसे में वो 5-10 क्विंटल खरीदी केंद्र पर लेकर जाएगा तो उसका भाड़ा निकालना भी मुश्किल है. खरीदी केंद्रों पर एमएससी, बीएससी कृषि टेक्नीशियन की जगह 10वीं और 12वीं पास अनपढ़ लोगों को गेहूं की गुणवत्ता जांचने के लिए रखा गया है. किसान यूनियन के अधयक्ष का कहना है कि जानकारी मिली है कि कुछ व्यापारी और केंद्र के कर्मचारियों की मिलीभगत से गेहूं का सैंपल फेल कर दिया जाता है. उसी गेहूं को व्यापारी औने-पौने दाम पर खरीद कर वापस उसी केंद्र पर बेच देते हैं. व्यापारी 1500 से 1600 तक खरीदी कर रहे हैं और कोरोना वायरस का हवाला देकर नकद पेमेंट भी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में आशंका व्यक्त की जा सकती है कि जैसे पहले हुआ है, किसानों के करोड़ों रुपए का गबन व्यापारियों द्वारा किया गया. ऐसा न हो कि व्यापारियों द्वारा गेहूं व अन्य फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं खरीदी जानी चाहिए. अगर कोई व्यापारी खरीदी करता पाए जाए तो उस पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान हो.

Last Updated : Apr 27, 2020, 11:00 PM IST

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