छतरपुर। अपने कलात्मक मंदिरों के लिए देश-विदेश के पर्यटकों को लुभाने वाला खजुराहो अब एक और वजह से विश्व के मानचित्र पर उभरने वाला है. खजुराहो में नवनिर्मित आदिवर्त गांव में मध्यप्रदेश में सदियों से निवास करती आ रहीं जनजाति, आदिवासी कला और संस्कृति का नजारा देखने को मिलेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को इस सांस्कृतिक गांव का लोकार्पण कर दिया है.
G-20 संस्कृति कार्यसमिति की पहली बैठक का शुभारंभ :मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को छतरपुर के खजुराहो पहुंचे. यहां उन्होंने G-20 summit की संस्कृति कार्यसमिति की पहली बैठक का शुभारंभ किया. इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार भी मौजूद रहे. मध्यप्रदेश सरकार में विज्ञान और तकनीकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, खजुराहो सांसद व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और विधायक ऊषा शर्मा समेत कई जानी-मानी हस्तियां भी उपस्थित रहीं. इस बैठक में G-20 देशों के करीब 125 सदस्य शामिल होंगे. इस मौके पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है. इसमें विश्व के अन्य देशों से भारत वापस लाई गईं पुरातात्विक महत्व की 25 प्रतिमाएं प्रदर्शित की जाएंगी.
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लोक संस्कृति को सहेजे 'आदिवर्त' :मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा देव और बूढ़ी दाई के सामने दीपक जलाकर उद्धाटन समारोह का शुभारंभ किया. आदिवर्त का लोकार्पण करने के बाद उन्होंने कहा, 'ये मध्यप्रदेश की कला है, हमारी परंपरा है. हमें इसको जिंदा रखना है और आगे बढ़ाना है. इसी मकसद से आदिवर्त की संकल्पना की गई है. खजुराहो आने वाले लोग इसे देखेंगे और पूरी दुनिया में इसकी चर्चा करेंगे.' इसके बाद उन्होंने मेहमानों के साथ लिखंदरा प्रदर्शनी, संग्रहालय और संगीत नृत्य दीर्घा देखी. समारोह में मुख्यमंत्री ने जनजातीय लोक कलाकारों समेत साहित्य और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले लोगों का सम्मान भी किया. आदिवासी रंग में रंगे शिवराज लोक नृतकों के साथ ढोल बजाकर थिरकते भी नजर आए. सांसद बीडी शर्मा ने उनका बखूबी साथ दिया.
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संग्रहालय में जनजातीय जीवन की झलक :'आदिवर्त' में मध्यप्रदेश की जनजातीय संस्कृति और लोककलाओं की झलकियां समेटी गई हैं. यहां गोंड, बैगा, कोरकू, भील, कोल और सहरिया जैसी जनजातियों की विशेषताओं को सहेजा गया है. इन जनजातियों के शिल्पकारों की देखरेख में ही आदिवर्त का निर्माण किया गया है. उनके मकान, दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीजें, प्रतीक, हथियार, देवी-देवता और पूजापाठ करने के तरीकों को दर्शाया गया है. मकानों का निर्माण मिट्टी, पत्थर, लकड़ी और लोहे से किया गया है. वहीं, दूसरी चीजें राज्य के अलग-अलग हिस्सों से जुटाई गई हैं.