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80 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त, पिछले 5 चुनाव में 10 हजार से ज्यादा को मिली हार

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. लेकिन लोकतंत्र में जनता जर्नादन से बड़ा कोई नहीं होता. जनता ही तय करती है कि आने वाले पांच साल के लिए वो किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है. कई बार तो जनता उम्मीदवारों को जमानत बचाने का मौका भी नहीं देती. मध्यप्रदेश में अभी तक 80 फीसदी उम्मीदवारों जमानत जब्त हो चुकी है.

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Published : Oct 21, 2020, 12:39 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. जिसे जीतने के लिए बीजेपी कांग्रेस पूरे दमखम से कोशिश कर रही है. चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारते हैं. लेकिन लोकतंत्र में जनता जर्नादन से बड़ा कोई नहीं होता. वोट मांगने आए उम्मीदवारों की भले ही मतदाता अपना मत देने का वाद करते हैं, लेकिन मतदान के वक्त जनता वोट के जरिए अपनी ताकत बताती है. कई बार तो चुनाव जीतना तो दूर जनता कई उम्मीदवारों को जमानत बचाने का मौका भी नहीं देती है. 1951 में हुए मध्य प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में 1,122 उम्मीदवार उतारे थे, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में 3,179 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे. इस तरह पिछले 5 विधानसभा चुनाव में 13,572 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन 10,000 से ज्यादा अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.

नेताओं की राय

2013 के विधानसभा चुनाव में 6 नेशनल पार्टियों सहित कुल 66 पार्टियों की 2,583 उम्मीदवारों ने चुनाव में ताल ठोकी 2080 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

  • 2008 के विधानसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों सहित 54 पार्टियों और निर्दलीय सहित 3,179 उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में किस्मत आजमाई, लेकिन 2,654 की जमानत जब्त हुई थी.
  • 2003 के विधानसभा चुनाव में 40 पार्टियों के 2,171 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे इनमें से 1,655 की जमानत जब्त हुई थी.
  • 1998 के विधानसभा चुनाव में 7 नेशनल पार्टियों सहित 41 पार्टियों के 2,510 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे इनमें से 1,778 की जमानत जब्त हुई.
  • 1993 के विधानसभा चुनाव में 5 नेशनल पार्टियों सहित 32 पार्टियों के 3,729 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन 2,995 की जमानत जब्त हो गई.
  • 1990 में सबसे ज्यादा उम्मीदवारों ने आजमाई थी किस्मत
  • 1990 में विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 4,215 उम्मीदवारों ने सियासी जमीन पर अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन इनमें से 3,530 को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.
  • 1990 में कुल 32 पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे चुनाव में कुल 54.19 फीसदी मतदाताओं ने वोट किया.

पिछले पांच विधानसभा चुनाव की स्थिति

  • वर्ष उम्मीदवार जमानत जब्त
  • 2018 3129 2620
  • 2013 2583 2080
  • 2008 3179 2654
  • 2003 2171 1655
  • 1998 2510 1778

प्रदेश में 1951 में हुआ था पहला चुनाव

मध्यप्रदेश में 1951 में सबसे पहला विधानसभा चुनाव हुआ था. चुनाव में 11 राष्ट्रीय पार्टियों, दो राज्य स्तरीय पार्टियों, भारतीय लोक कांग्रेस और इसके पक्ष सहित 13 पार्टियां चुनाव में उतरी थी.184 सीटों पर हुए चुनाव में 1,122 उम्मीदवार मैदान में उतरे इनमें सबसे ज्यादा खुरई विधानसभा सीट पर 17 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई. 1991 के चुनाव में 45.11 फीसदी मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया. चुनाव में उतरी 657 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. चुनाव में 184 में से 148 सीटें कांग्रेस के नाम रही और बीजेपी जिस संगठन से निकली उस ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. चुनाव में जनसंघ का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका.

कैसी होती है जमानत जब्त

चुनाव में जमानत जब्त उस स्थिति में होती है. जब कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा प्राप्त नहीं कर पाता है. इस स्थिति में उम्मीदवार द्वारा चुनाव आयोग के पास जमा की गई जमानत राशि जब्त कर ली जाती है. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए 10 हजार की राशि जमा करनी होती है. नामांकन दाखिल करते समय उम्मीदवारों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 341(a) अनुसार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए 10 हजार की राशि जमा करनी होती है. निर्धारित वोट ना मिलने पर यह राशि जब्त कर ली जाती है. यानी अगर किसी विधानसभा सीट पर 1 लाख वोटिंग हुई है तो जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को 16 हजार 666 वोट से ज्यादा लेने होते हैं.

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