भोपाल।कोरोना की तीसरी लहर फिलहाल उतनी घातक नहीं नजर आ रही. लोग गंभीर रूप से कम ही बीमार पड़ रहे हैं, और कोरोना से मौत भी पहली और दूसरी लहर के मुकाबले में कम है. लेकिन फिर भी इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, ये कहना है भोपाल के ऋषि माहेश्वरी का. जिन्हें कोरोना ने वो दर्द दिया जो ताउम्र उनके और उनके परिवार के साथ रहेगा. दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमण ने ऋषि के पिता का साया उनके सिर से उठा दिया. पहले पिता की मौत का सदमा फिर एमएनसी में इंजीनियर ऋषि की नौकरी भी चली गई.
कोरोना ने छीन लिया पिता का साथ (father died due to corona)
कोरोना का दर्द बयां करते हुए ऋषि माहेश्वरी ने बताया कि वो एक मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करते थे. कोरोना के दौरान कंपनी का प्लांट बंद नहीं हुआ था,वहीं से उन्हें कोरोना हुआ. उसके बाद पत्नी, और पापा-मम्मी भी इसकी चपेट में आ गए. हमने घर पर रहकर ही इलाज किया. लेकिन सितंबर 2020 में पापा की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें कटारा हिल्स स्थित माउंट अस्पताल में भर्ती कराया था. ऋषि ने बताया कि 15 दिन भर्ती रहने के बाद उनके पापा ठीक होने की स्थिति में आ गए थे, लेकिन 11 अक्टूबर को सुबह उनकी मौत हो गई. कोरोना महामारी के कारण अपने पिता को खो चुके ऋषि के मन में इतना भय समाया हुआ है कि वह आज भी कोरोना संक्रमण को लेकर काफी सतर्क और सजग नजर आते हैं.
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ओवर कॉन्फिडेंस में ना रहें
ऋषि का कहना है कि भगवान ना करे किसी के परिवार में ऐसा हो. लेकिन कोरोना को हल्के में ना लें. एक समय था कि जब हम भी अप्रैल 2020 में कोरोना को लाइटली ले रहे थे. ऋषि ने कहा कि सभी लोग सैनिटाइजेशन करते रहें. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. मास्क जरूर लगाएं. ओवरकॉन्फिडेंस में ना रहे कि अपने को कुछ नहीं होगा. ऐसी लापरवाही से आपके परिवार का और आपका ही नुकसान होगा.