रायपुर/ भोपाल: चैत्र नवरात्र का आज छठवां दिन है. जिसे षष्ठि के रूप मे भी जाना जाता है. नवरात्र के छठवें दिन भगवती के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सारे संकट दूर होते हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.
भगवती कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इनकी उपासना से साधकों के सारे कष्ट, संताप दूर होते हैं. मां कात्यायनी की पूजा कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदाई है. कुंवारी कन्याओं को देवी कात्यायनी की पूजा से अच्छा वर मिलता है.
इसलिए पड़ा कात्यायनी नाम
मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा के मुताबिक उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी, इसीलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं.
माता का स्वरूप
माता का वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं. इनके एक हाथ में तलवार है एक हाथ में कमल पुष्प है और एक हाथ वरमुद्रा में है. इन्हें सुगंधित पुष्प प्रिय है. माता को शहद का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है.
यहां हर साल बनाया जाता है मां महामाया का सिर, जानें इसके पीछे क्या है कहानी ?
मां दुर्गा के नौ रूप
- प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
- द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
- तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
- चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
- पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
- षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
- सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
- अष्टमी के दिन मां महागौरी
- नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.