भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार 1 जून से प्रदेश को अनलॉक करने की तैयारी में है चरणबद्ध तरीके से मार्केट और अन्य उपक्रम खोले जाएंगे जिसके आदेश भी जारी हो चुके हैं. लेकिन डॉक्टर्स का मानना है कि हमें तीसरी लहर के लिए तैयार रहना होगा खास तौर पर बच्चों पर विशेष ध्यान देना है. इसका कारण बताया जा रहा है कि इस बार कोरोना वायरस बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है.
तीसरी लहर के लिए कितने तैयार हैं हम ? हमीदिया में की जा रही तैयारी
डॉक्टर्स के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान राजधानी के हमीदिया अस्पताल में ही 180 बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर इलाज करवा चुके हैं, इनमें से 8 बच्चों की मृत्यु भी हो गई है. विशेषज्ञ बताते हैं की बच्चों को लेकर विशेष तैयारियां करना पड़ेगी क्योंकि उन्हें इलाज के साथ फिजिकल और मेंटल सपोर्ट की ज्यादा जरूरत होती है. इसको लेकर शासन की तैयारियों की बात की जाए तो इलाज के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं. हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि हमारे पास कोविड-19 ब्लॉक डी में बच्चों के इलाज के लिए अलग से वार्ड बनाए जा रहे हैं. इनमें चौथे और पहले फ्लोर पर आईसीयू बेड तैयार है. साथ ही बच्चों के इलाज के दौरान उनके माता-पिता को साथ रखने के इंतजाम पर भी विचार किया जा रहा है.
तैयारियों में जुटी सरकार
वहीं सरकारी तैयारियों की बात करें तो मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि इस मामले में विशेषज्ञों से चर्चा की जा रही है. शासन तीसरी लहर और बच्चों के इलाज के लिए भी योजना तैयार कर रहा है. बता दें कि इसके लिए सरकार पहले ही 350 आईसीयू बेड बनाने के निर्देश अलग-अलग अस्पतालों को दे चुकी है.
1 साल में कोरोना से 8 बच्चों की मौत
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई 2020 से मई 2021 तक हमीदिया अस्पताल में 180 बच्चों का कोरोना संक्रमण के चलते इलाज किया गया. इनमें नवजात शिशु से लेकर 8 से 10 साल तक के बच्चे शामिल हैं. बाल्य एवं शिशु रोग विभाग की एचओडी डॉक्टर ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि 1 साल के दौरान 8 बच्चों की मौत कोरोना वायरस के चलते हुई है. इन मामलों में कई बच्चे गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचे थे, साथ ही कुछ बच्चे प्रेगनेंसी के बाद भी संक्रमित पाए गए हैं. हालांकि बच्चों में एडल्ट के मुकाबले रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई जाती है और बीमार होने की संभावना कम होती है उनकी शारीरिक संरचना ऐसी होती है की अपने आप ही वह रिकवर हो जाते हैं फिर भी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
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80 बेड की पीडीएट्रिक यूनिट तैयार
शासन की तैयारियों की बात की जाए तो कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के चलते हमीदिया अस्पताल में व्यवस्थाएं की जा रही है. यहां पर डी ब्लॉक में पीडिएट्रिक यानी बाल्य एवं शिशु रोग यूनिट के लिए 80 बेड तैयार किए गए हैं. इनमें से 50 बेड पीडियाट्रिक आईसीयू और 30 बेड ऑक्सीजन सपोर्ट वाले हैं इसके अलावा 200 बेड तैयार करने की बात की जा रही है. अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि हम यह तैयारी भी कर रहे हैं की बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी रह सके जिससे कि बच्चों के इलाज और देखभाल मैं परेशानी ना आए. डॉक्टर दवे ने बताया कि हमीदिया में 200 वेंटिलेटर हैं इनमें से लगभग 10 वेंटिलेटर ऐसे हैं जिनमें बच्चों के इलाज के लिए उपयोगी टूल्स मौजूद हैं इसके अलावा भी अगर जरूरत पड़ती है तो व्यवस्थाएं की जाएंगी.
हमीदिया में 9, भोपाल में 300 से ज्यादा डॉक्टर
हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि बाल्य एवं शिशु रोग के 9 सीनियर डॉक्टर और कंसलटेंट अस्पताल में है. इसके साथ ही रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर की संख्या 40 से ऊपर है. यह सभी डॉक्टर्स कोरोना कॉल के दौरान ड्यूटी कर रहे हैं. बच्चों के इलाज के दौरान भी इनसे सेवाएं ली जा रही है. जानकारी के अनुसार सिर्फ भोपाल में ही 300 से अधिक संख्या में पीडियाट्रिक डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं, जो अलग-अलग अस्पतालों और निजी क्लीनिक में काम कर रहे हैं.
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पूरे प्रदेश में मौजूद हैं पीडियाट्रिक के डॉक्टर
भारतीय बाल रोग अकादमी के प्रदेश सचिव डॉक्टर राजेश टिक्कास ने बताया कि हमीदिया में 15 कंसलटेंट के साथ लगभग 45 एमडी स्टूडेंट्स है, जो पीडियाट्रिक्स है. इसके अलावा भोपाल में 300 से अधिक बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ हैं इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर, खंडवा, रतलाम और दतिया में भी बड़ी संख्या में डॉक्टर मौजूद है इनमें अधिकांश एमडी स्टूडेंट्स है जो अलग-अलग मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं.
तीसरी लहर का प्रभाव और सावधानियां
आईएपी द्वारा जारी गाइड लाइन में बताया गया है कि पहली लहर का असर बुजुर्गों में देखा गया और दूसरी लहर में 30 से 45 वर्ष के लोग कोरोना से प्रभावित हुए हैं हाल ही में किए गए सर्वे मैं पता चला है कि 10 से 15 वर्ष के बच्चों में बड़ों की ही तरह संक्रमण दर 20 से 25% पाई गई थी. इससे यह जानकारी मिली है कि बच्चे बड़ों की तरह तो संक्रमित होते हैं पर इतने गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं इसलिए यह संभावना बहुत कम है कि तीसरी लहर विशेष तौर पर बच्चों को प्रभावित करेगी.
बच्चों में दिखने वाले लक्षण
- बच्चों के शरीर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी रिसेप्टर्स की कम उपलब्धता और उनकी प्रतिरोधक क्षमता प्रमुख कारण है. जिससे बच्चे कम प्रभावित होते हैं. संक्रमण के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर भी पलकों को ध्यान देना होगा.
- 90% से अधिक बच्चों में बिना लक्षणों के या एकदम साधारण लक्षणों के साथ संक्रमित होते हैं और उनमें गंभीर बीमारी होने की संभावना ज्यादा नहीं होती.
- बच्चों में गंभीर निमोनिया और उनकी सुरक्षा प्रणाली के अनियंत्रित हो जाने से एमआईएस-सी( मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम) जरूर दिखाई दिए हैं. एमआईएस-सी प्रति लाख लोगों में एक या दो में देखा गया है, कुछ में यह गंभीर भी हो सकता है. समय पर इलाज कराने से अधिकतर बच्चे ठीक हो जाते हैं. अक्सर संक्रमण दो से 6 हफ्तों बाद होता है आमतौर पर इस दौरान संक्रमण एक दूसरे में नहीं फैलता है.
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कैसी हो तैयारी ?
- बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर हमें सतर्क रहना होगा, हल्के लक्षण दिखने पर भी सीधे डॉक्टर की सलाह लें.
- पेरेंट्स को बीमारी के बारे में जानकारी देनी होगी और संभावित खतरों से आगाह भी करना होगा.
- बच्चों के लिए कोविड-19 वार्ड और आईसीयू स्तरों की तैयारी करना होगी.
- बच्चों को कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कराने जैसे मास्क पहनना, हाथ धोना और दूरी बना कर रखने की जिम्मेदारी पेरेंट्स को निभानी होगी.
टीकाकरण की भी हो पहल
आईएपी प्रदेश सचिव डॉक्टर राजेश टिक्कास ने बताया कि पूरे विश्व में आंकड़ों से स्पष्ट है कि बुजुर्गों और वयस्कों की बच्चों की तुलना में मौत हजार गुना अधिक है. शासन द्वारा टीकाकरण अभियान के तहत वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. इसी कड़ी में हमारे देश में निर्मित सुरक्षित और कारगर साबित हुई वैक्सीन को बच्चों के लिए उपलब्ध कराना चाहिए. इस पर सरकार को विचार करना होगा.