भोपाल।मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का लाल परेड ग्राउंड सूबे के इतिहास और विकास का गवाह रहा है. देश के आजाद होने के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल का पहला भाषण इसी मैदान पर हुआ था. लाल परेड ग्राउंड का नामकरण बाद में मोतीलाल नेहरू ग्राउंड के रूप में हुआ. 1957 के बाद हर साल इसी ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस ग्राउंड का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है.
लाल परेड ग्राउंड का इतिहास
भोपाल का लाल परेड मैदान नए और पुराने शहर की लक्ष्मण रेखा माना जाता है. इस लाल परेड मैदान का करीब डेढ़ सौ साल पुराना इतिहास है. रियासत कालीन पलटनों की परेड के लिए तैयार किए गए इस ग्राउंड से नवाब जहांगीर मोहम्मद खान का रिश्ता जुड़ा है.
उन्होंने ही यहां जहांगीराबाद बसाया. 1837 से 1844 के बीच जहांगीर मोहम्मद खान ने लाल परेड ग्राउंड का निर्माण कराया, उसी दौरान अरेरा हिल्स पीछे की तरफ जहांगीर कोठी को बनाया गया और उसके सामने ये मैदान था. इस मैदान में परेड होती थी, इसलिए इसे परेड ग्राउंड कहा जाने लगा और मिट्टी की सुर्खी के नाम के साथ लाल रंग को भी जोड़ दिया. लाल परेड ग्राउंड में लड़ाकू को लाल ड्रेस पहनाई जाती थी.
लाल परेड ग्राउंड और काली परेड ग्राउंड