भोपाल।14 सितंबर को देश में हर साल हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है. इस दिन को सभी अपने-अपने अंदाज में सेलिब्रेट करते हैं. अब वह समय लद चुका है, जब हिंदी को हेय दृष्टि से देखा जाता था. हिंदी के कई ऐसे कथाकार और लेखक हुए, जिन्होंने हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने में भरपूर योगदान दिया. इतना ही नहीं इंटरनेट सर्च (Internet Search) से लेकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर भी हिंदी का दबदबा बढ़ा है.
जानें क्यों 14 सितंबर को ही मनाया जाता है यह दिवस
साल 2001 की जनगणना के हिसाब से करीब 25.79 करोड़ भारतीय अपनी मातृभाषा (Mother Toungue) के रूप में हिंदी का उपयोग करते हैं, जबकि करीब 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक का उपयोग करते हैं. हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमाउनी, मगधी और मारवाड़ी भाषाएं शामिल हैं.
इस दिन से हिंदी दिवस की शुरुआत
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार कर लिया था, बाद में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. हालांकि, आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस (Hindi Diwas) 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.
हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य
हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बात से रू-ब-रू कराना होता है कि जब तक वे पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का पूर्णरूपेण विकास नहीं हो सकता है. इसलिए 14 सितंबर को हिंदी जन-जन तक पहुंचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी के उपयोग की सलाह दी जाती है. इस दिन हिंदी के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार समारोह भी आयोजित किये जाते हैं. हिंदी से जुड़े पुरस्कारों में राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार शामिल हैं.
14 सितंबर 1949 को बनी राष्ट्र की आधिकारिक भाषा
6 दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ, सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. फिर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया, जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी (संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी) के चेयरमैन थे. संविधान में विभिन्न नियम-कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा भी अहम था क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं. काफी विचार-विमर्श के बाद हिन्दी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा चुन लिया गया. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा (National Language) के तौर पर स्वीकार कर लिया. हालांकि पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.