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कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लापरवाही, सामाजिक संगठनों ने सरकार से की ये मांग

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Published : Jun 22, 2020, 9:29 PM IST

स्वास्थ्य विभाग की 18 जून को जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश के कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने लापरवाही की है. जिसके बाद सामाजिक संगठन पीड़ितों को क्षतिपूर्ति देने और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

Social worker Ajay Dubey
सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे

भोपाल। कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. ये खुलासा स्वास्थ्य विभाग की 18 जून को जारी एक रिपोर्ट में हुआ है. जिसमें प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित जिलों में शुमार इंदौर, भोपाल और शाजापुर में लापरवाही की वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत पर सवाल खड़े किए गए हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों ने सरकार से जिम्मेदारों पर कार्रवाई और पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति देने की मांग की है.

सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे

सामाजिक संगठनों का कहना है कि प्रदेश में मार्च से कोरोना संक्रमण को रोकने और जनता को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. लेकिन हालात बेहतर नहीं हो रहे हैं. स्वास्थ्य आयुक्त फैज अहमद किदवई ने भी सरकारी रिकॉर्ड पर कोरोना पीड़ितों की डेथ में प्रबंधन और रेफरल की लापरवाही को लेकर 18 जून को कलेक्टर और CMHO को पत्र लिखकर चेताया है. इस पत्र में भोपाल, इंदौर और शाजापुर में हुई 4 मौतों का विवरण दिया गया है. सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि तत्काल प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट हो और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें उचित मुआवजा मिले.

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट
  • शाजापुर में 40 वर्षीय मरीज को दो-तीन दिन से बुखार और सांस लेने में तकलीफ थी. संबंधित मरीज ने एएनएम से संपर्क किया. एएनएम ने कुछ दवाइयां देकर उसे विदा कर दिया. दो-तीन दिन बाद मरीज को गंभीर स्थिति में इंदौर रेफर किया गया. जहां उसकी मौत हो गई.
  • भोपाल में 40 वर्षीय मरीज बुखार होने की वजह से जिला अस्पताल पहुंचा. जहां ट्राइजिंग की व्यवस्था नहीं थी. लिहाजा मरीज को ओपीडी में ही देखा गया. मरीज का टेंप्रेचर और ब्लड प्रेशर न लेते हुए मरीज को सपोर्टिव और सिंप्टोमेटिक ट्रीटमेंट देकर घर भेज दिया गया. 5 दिन बाद मरीज की हालत बिगड़ गई और मेडिकल कॉलेज भेजने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया.
  • इंदौर में 50 वर्षीय मरीज को बुखार खांसी और सांस की तकलीफ थी. जिसे फीवर क्लीनिक भवर कुआं से मेडिकल कॉलेज इंदौर भेजा गया. जहां 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई. इस मामले की जांच में पाया गया कि मरीज को सामुदायिक स्तर पर पर्याप्त सर्विलांस न किए जाने, फीवर क्लीनिक में देर से आने और आरोग्य सेतु एप की पर्याप्त जानकारी न होने के के चलते मौत हुई है.
  • ऐसे ही एक और 50 वर्षीय महिला को हॉई रिस्क कंटेनमेंट जोन में होने के बाद भी उसे संस्थागत क्वारेंटाइन किया गया. उसकी कोविड जांच नहीं हुई. उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

सूचना के अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने मांग की है कि प्रदेश में कोरोना संकट पर सरकार लगातार दावा कर रही है कि वो जनता को सुरक्षित रखेगी. अभी स्वास्थ्य आयुक्त फैज अहमद किदवई की रिपोर्ट आई है. जिसमें उन्होंने कलेक्टर और सीएमएचओ से कहा है कि शाजापुर, भोपाल और इंदौर में मरीजों के इलाज में देरी हुई है. ये एक बड़ी लापरवाही है और निश्चित रूप से गंभीर संकेत है. हमने सरकार से मांग की है कि मध्यप्रदेश में जो कोरोना से मौत हुई है, उसका डेथ आडिट हो, पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति दी जाए. साथ ही जो अधिकारी और कलेक्टर कोरोना पर नियंत्रण पाने में असफल हुए हैं, उन पर कठोर कार्रवाई की जाए.

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