भोपाल।स्कूलों की किताबों में किताबों में डिजाइन से लेकर पाठ्यक्रम सब कुछ निर्धारित कर लिया गया है, मध्य प्रदेश स्कूली शिक्षा का दावा है कि वह देश में पहला राज होगा जिसमें हैप्पीनेस का पाठ पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. 9वीं से लेकर 12वीं तक ये कोर्स सभी छात्रों को कंपलसरी किया गया है. पाठ्यक्रम सभी के लिए अनिवार्य है, हालांकि इसके लिए विभाग परीक्षा में इसको शामिल नहीं करेगा. करीब 275 स्कूलों में हैप्पीनेस का पाठ पढ़ाया जाएगा, इसके लिए समय प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, नैतिक मूल्य, जलवायु परिवर्तन, जैसे अन्य विषयों को इस पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इससे फायदा ये होगा की अलग से छात्रों को सीखने की जरूरत नहीं होगी.
किसने डिजाइन किया है पाठ्यक्रम:शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस पाठ्यक्रम को तैयार किया जा चुका है. किताबें छप चुकी हैं, जुलाई में जब स्कूल शुरू होंगे तो छात्र हैप्पीनेस का पाठ कोर्स में पढ़ेंगे. इसे तैयार करने के लिए NCERT, सार्वभौमिक मानव मूल्य टीम, राज्य आनंद संस्थान, स्कूल ऑफ सोशल साइंस, मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने डिजाइन किया है. सप्ताह में एक बार हैप्पीनेस सेशन रखा जायेगा और जिसे हर छात्र को अटेंड करना है. हैप्पीनेस का पीरियड 45 मिनट का होगा, पुस्तक 150 पेजों की होगी, जिसका शीर्षक आनंद सभा रखा गया है.
जीवन में पॉजिटिविटी लाना जरूरी: स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दे जायेगी, इस पाठ्यक्रम से बच्चो की लाइफस्टाइल में बदलाव आएगा, इससे उनकी आंतरिक ऊर्जा में बढ़ोतरी होगी, और इससे उनको आधुनिक जीवन की पेचीदगियों को समझने में आसानी होगी, ध्यान और आध्यत्म से जुड़े प्रसंगों से जीवन में पॉजिटिविटी और जीवन को जीने के तौर-तरीकों को छात्र समझ सकेंगे, साथ ही नेगेटिव फीलिंग भी बच्चों को नहीं आएगी, कोर्स के जानकारों के मुताबिक इस कोर्स को शुरू करने का मकसद बच्चो में बढ़ती आत्महत्याओं को रोकना है.